Menu
blogid : 9833 postid : 911225

रिम झिम करती आई बारिश—–

poems and write ups
poems and write ups
  • 110 Posts
  • 201 Comments

सावन —

रिम झिम करती आई बारिश —-

रिम झिम करती आई बारिश,
बादल की गगरी में देखो
सागर भर कर लाई बारिश !
छम छम करके पानी बरसा
प्यासी धरती का मन सरसा !

पौधे पेड़ नहाये सब हैं
पंछी पेड़ों पर दुबके हैं ,
धुला धुला सा लगता जग है,
कितना पानी लाई बारिश ,
आज झमाझम आई बारिश

कैसे मम्मी कॉलेज जाए
पापकैसे जाएँ ऑफिस
गली सड़क सब नदी बने हैं
मैं भी कैसे जाऊं स्कूल
ऐन वक़्त पर आई बारिश !

आज मनाएंगे सब छुट्टी
मैं और पापा दोनों मिल कर
नाव बनाएंगे कागज़ की
तैरायेंगे उस पानी में
जो पानी ले आई बारिश !

चाय, पकोड़े, मीठे चीले
गर्म जलेबी ठन्डे रसगुल्ले
फरमाइश पर फरमाइश को
पूरी कर के लाइ मम्मी ,
सब ने जी भर भर के खाए
हमको बहुत सुहाई बारिश !

बस ट्रक कारें ,स्कूटर
चलते जैसे मोटर बोट
छींट उड़ाते हमें भिगाते
काम न आई कोई छतरी
बचा न पाया रेनकोट
बड़ी जोरसे आई बारिश!

बारिश की जब झड़ी थमी तो
कितना हुआ सुहाना मौसम
चड्डी और बनियान पहन कर
बच्चे निकले घर से बाहर
छप छप करते हैं पानी में
सब ने बहुत मनाई बारिश !

बादल उमड़ घुमड़ कर आये
सूरज के संग करें ठिठोली ,
सूरज ने भी रंग बिखेरे
आसमान रंगों की होली
छाओं कभी धूप की लुका छिपी
इन्द्रधनुष ले आई बारिश !

नीम की डाली डाले झूले
बांधे रिबन नीले पीले
उड़ाती आँचल, पींघ बढाती,
कोयल के संग गोरी गाती
मोर भी नाच कुहुक पीहू कह
रुत सावन ले आई बारिश !

——-ज्योत्स्ना सिंह !

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh