Vichar Gatha
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पूरा घर है पढ़ा लिखा,
घर पर सब अपने हैं.
गिनती किस -किस को आती है?
छोटे बच्चे कुछ गिन लेते हैं,
किन्तु सही गिनती दिन की,
केवल माँ को आती है.
आज फोन पर बातों में
एक वर्ष बीते गए,
मुझको घर गए हुए!
दग्ध ह्रदय से उसने बोला,
करुणा का उसने रस घोला.
बेटा अब तो आ जाओ,
थोड़ा सा दर्शन दे जाओ.
मेरा दिमाग घूमा–
घर सब तो भरे पड़े
सारे रिश्ते अटे पड़े.
पैसों की गिनती सबको आती,
अर्थव्यस्था जग की भाती.
माँ को इससे नहीं है नाते,
चाहे वो बेटे से बातें.
देखू फिर लाल का हाल,
ठीक है या है बेहाल.
पूष आषाढ़ माघ जोड़ती,
गिन लेती सब उलटी सीधी.
एक वर्ष हो गए है लाल,
पिछली बार जब आये थे लाल,
हे नाथ—
सही गिनती यह दिन की,
कैसे है माँ ने किये हुए.
मैंने जोड़ा जून जनवरी,
गिनते ही आ गयी फरवरी.
वर्ष पूर्ण होए हैं मात,
दिन की गिनती है तुमको ज्ञात !!
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