जिन्दगी
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तुम्हारी बात करूँ या जहाँ की बात करूँ,
तुम्हीं बता दो मुझे, मैं कहाँ की बात करूँ?
सितम सहे हैं कई , दिल ने मगर उफ़ न किया,
नज़र की बात करूँ या जुबान की बात करूँ?
जफा का दर्द लिए, जिंदगी का जाम पिया,
जहर की बात करूँ या दवा की बात करूँ?
किसी ने साथ दिया मेरा, दो कदम ही सही,
इधर की बात करूँ या उधर की बात करूँ?
तुम्हारी बात करूँ या जहाँ की बात करूँ,
तुम्हीं बता दो मुझे, मैं कहाँ की बात करूँ?
– कांता गोगिया
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