जिन्दगी
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१. हसरतों की जहर बुझी लौ में
मोम सा दिल गला दिया मैंने,
कौन बिजली की धमकियाँ सहता
आशियाँ खुद ही जला दिया मैंने |
२. दर्द के हाथ बिक गई खुशियां
और हम बेच कर बहुत रोये ,
जैसे कोई दिया बुझा तो दे
किन्तु फिर रात भर नहीं सोये |
३. शब्द का अर्थ गढ़ लिया मैंने
भाव ऐसे पकड़ लिया मैंने,
आपने जिंदगी लिखा होगा
दर्द था, दर्द पद लिया मैंने |
४. जिंदगी कटु सत्य है, सपना नहीं है
खेल इसकी आग में तपना नहीं है
कौन देगा साथ इस भूखी धरा पर
जबकि अपना श्वास भी अपना नहीं है|
– कान्ता
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