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बिखरी हुई किताब

जिन्दगी
जिन्दगी
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उजड़ा हुआ चमन हूँ
सिमटा हुआ स्वपन हूँ
लूटे हुए अरमानों की कब्र का
फटा हुआ कफ़न हूँ

नज़रों का आफताब हूँ
दिलों का ख्वाब हूँ
न हारी वक़्त से
मुहब्बत की हर हूँ

दर्द का खिताब हूँ
अश्क का सैलाब हूँ
तुम नहीं समझ पाओगे
में बिखरी हुई किताब हूँ

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