मुझसे मेरी ही उदासियों का सबब न पूछो मेरी आँखों की वीरानियों का सबब न पूछो और कुछ भी पूछो मुझसे आज तुम मगर में कभी कभी कहाँ खो जाती हूँ सबब न पूछो.
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