जिन्दगी
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थोड़ी खुशियाँ , थोड़े से गम, यही जिंदगी है प्यारे,
काम है ज्यादा, वक़्त है कम, यही जिंदगी है प्यारे !
परछाई भी दिन की साथी, शाम ढले छुप जाती है,
कौन है आखिर सच्चा हमदम, यही जिंदगी है प्यारे !
गम ने तो आंसूं ही आंसूं दामन में बरसाए पर ,
खुशियों में भी आँख हुई नम, यही जिंदगी है प्यारे !
पैदा होना, लिखना-पदना, दुःख से लड़ना, मर जाना,
जीवन के यही चार मौसम, यही जिंदगी है प्यारे !
सोचो दो सड़कें भी अक्सर दो राहों पर मिलती हैं,
बन जाएँ कुछ रिश्ते बाहम* , यही जिंदगी है प्यारे !
कान्ता गोगिया
*बाहम – एक साथ
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