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यह न समझो ……………

जिन्दगी
जिन्दगी
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उस के होंटों की प्यास हूँ, खुश हूँ
चाहे खाली गिलास हूँ, खुश हूँ
दर्द सीने में उठ के कहता है
यह न समझो उदास हूँ , खुश हूँ
में तो इक आग थी, मगर जब से
आंसुओं का लिबास हूँ, खुश हूँ
खुद से मिलकर उदास रहती थी
जब से साईं के पास हूँ, खुश हूँ
नेह के दीप में है घर मेरा
चाहे जलती प्यास हूँ, खुश हूँ.

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