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शायरी

जिन्दगी
जिन्दगी
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१. सुख
दुःख के
अंधेरों में
चमकता
जुगनू सा |

२. तुम
सोचते-सोचते
फूल हो जाती हूँ
फिर –
मुझसे मेरी
खुशबू
नहीं आती |

कान्ता गोगिया

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