जिन्दगी
- 70 Posts
- 50 Comments
दूर उस और-
एक छोटा सा गाँव है |
यह मेरे सपनों का गाँव है
जहाँ मैं रहने का स्वपन देखती हूँ
जहाँ ‘यह’ नहीं है ‘वो’ नहीं है
ऐसा-वैसा कुछ नहीं है
सिर्फ सब कुछ सुखद सा है
भीड़ भाड़ नहीं है
कोई मार-मारी नहीं है
कोई होड़ नहीं है
बस सब कुछ बेजोड़ है
मानव है यहाँ भी –
पर मानवता अधिक है
शांत है यहाँ सब,
क्लांत-अशांत कोई नहीं ,
सुसंगति है यहाँ विसंगति नहीं ,
आनंदमय है यहाँ सब,
इसलिए सिर्फ सम्पन्नता है यहाँ
परन्तु दुःख है मुझे यह कि-
यह तो सिर्फ मेरे सपनों का गाँव है
असलियत में बदल देना इसे –
क्या आज संभव है?
-कांता गोगिया
Read Comments