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सुख

जिन्दगी
जिन्दगी
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सुख !
कहाँ चले गये तुम ?
बहुत दिन बीते तुमने
दर्शन नहीं दिए |
दुःख , सदा यहीं घूमता रहता है –
तुम्हीं नज़र नहीं आते |
दर्द भी आता है यहाँ ,
पीड़ा और चिंता भी ,
बस तुम ही हो एक
‘ईद का चाँद’ |
सब रंग फीके हुए
जिंदगी के –
तुम बिन |
सुख कहाँ चले गए तुम ?
बहुत दिन बीते ,
दर्शन नहीं दिए ………………..

———— कान्ता गोगिया ————-

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