Menu
blogid : 12313 postid : 619031

सफ़र

जिन्दगी
जिन्दगी
  • 70 Posts
  • 50 Comments

कभी सफ़र था
रोटी से चाँद तक,
चाँद तब मंजिल था |
आज सफ़र है –
चाँद से रोटी तक ,
रोटी आज मंजिल है |
मैं ! जिसके क़दमों में गर्दिश है
जिसे चलता ही रहना है|
आज भी तय कर रहीं हूँ सफ़र
पर सफ़र का जो आनंद
पहले था
वह आज नहीं रहा
आज तो थकी हरी है चाल
चलना तो मजबूरी है –
जिंदगी को चलाने के लिए |

कान्ता गोगिया

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply