जिन्दगी
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१. रोशनी की तलाश करती हूँ
तम में चांदनी की तलाश करती हूँ
आज लोगों के घने जंगल में
आदमी की तलाश करती हूँ |
२. हर जिंदगानी का अंत होता है
हर निशानी का अंत होता है
क्या हुआ हम जो हो गए खामोश
हर कहानी का अंत होता है |
३. ख़ुशी की छाया हो या गम की धूप
मेरी जिंदगी को कहीं पनाह नहीं
एक वीरान राह है मेरी जिंदगी
जिसमे कोई आरामगाह नहीं |
४. कांटा जो उँगलियों में चुभा होश आ गया
फूलों की तरफ हाथ बढ़ाने लगे थे हम |
५. जीना न हो जिस दिशा में जी लेती हूँ
मन के रिश्ते घावों को सी लेती हूँ
जब देखती हूँ परायापन चारों और
मैं अपने आंसुओं को पी लेती हूँ |
– कान्ता
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