तेरे दिल का चैन तुझे जीने नहीं देगा ….. Awara Masiha - A Vagabond Angel एक भटकती आत्मा जिसे तलाश है सच की और प्रेम की ! मरने से पहले जी भरकर जीना चाहता हूं ! मर मर कर न तो कल जिया था, न ही कल जिऊंगा ! आ जा मेरी बांहों में तुझे जी भरकर प्यार करूँ
कुछ तेरे दिल की सुनु कुछ अपनी तमन्नाओ पर उपकार करूँ
नहीं रहा जाता अब दूर तुझसे एक पल भी
कैसे अपने अरमानों पर मैं कुछ अहसान करूँ
बढती जाती है बचैनी हर रात के कट जाने के बाद
सुबह उठ कर सोचता हूँ फिर कैसे दिन भर तेरा इंतजार करूँ
तुझे नहीं है फ़िक्र इतर भी की मेरे दिल की भी सुन ले
कब तक अल्फ़ाज़ों में रहेगी सिमटी
अब तो जालिम दिल की धडकन अपने कानों से सुन ले
तेरा अहसास समेटे हुए है मुझे एक कोहरे की चादर जैसे
जिसके अंदर तूने जकड़ा हो मुझको ऐसे
यह कठोर भुजाएं और फडकती छाती
ऐसे लटकी जैसे आंच पर पिघलता है मोम जैसे
तेरे बिन यह शरीर एक मिटटी से ज्यादा कुछ नहीं
जब तक तू न भर ले इसे बांहों में
यह इक हाड मॉस का पुतला है और कुछ नहीं
चूम कर मेरे होठों को फिर से मुझे एक नया जीवन दे
अब आँखे भी पथराने लगी है अपने दिल को खोल दे
कब तक इस समाज के झूठे बंधनों में बंधी रहेगी
मेरी जिस्म की आग कब तक यूँही सुलगती रहेगी
तुझे अहसास नहीं की तेरे अंदर भी एक आग का दरिया है
जिसको जाकर मेरे समुन्द्र में गिरना है
जब तक उस दरिया का मैं शीतल नहीं कर देता
तेरे दिल का चैन तुझे जीने नहीं देगा …..
आ जा मेरी बांहों में तुझे जी भरकर प्यार करूँ
कुछ तेरे दिल की सुनु कुछ अपनी तमन्नाओ पर उपकार करूँ
नहीं रहा जाता अब दूर तुझसे एक पल भी
कैसे अपने अरमानों पर मैं कुछ अहसान करूँ
बढती जाती है बचैनी हर रात के कट जाने के बाद
सुबह उठ कर सोचता हूँ फिर कैसे दिन भर तेरा इंतजार करूँ
तुझे नहीं है फ़िक्र इतर भी की मेरे दिल की भी सुन ले
कब तक अल्फ़ाज़ों में रहेगी सिमटी
अब तो जालिम दिल की धडकन अपने कानों से सुन ले
तेरा अहसास समेटे हुए है मुझे एक कोहरे की चादर जैसे
जिसके अंदर तूने जकड़ा हो मुझको ऐसे
यह कठोर भुजाएं और फडकती छाती
ऐसे लटकी जैसे आंच पर पिघलता है मोम जैसे
तेरे बिन यह शरीर एक मिटटी से ज्यादा कुछ नहीं
जब तक तू न भर ले इसे बांहों में
यह इक हाड मॉस का पुतला है और कुछ नहीं
चूम कर मेरे होठों को फिर से मुझे एक नया जीवन दे
अब आँखे भी पथराने लगी है अपने दिल को खोल दे
कब तक इस समाज के झूठे बंधनों में बंधी रहेगी
मेरी जिस्म की आग कब तक यूँही सुलगती रहेगी
तुझे अहसास नहीं की तेरे अंदर भी एक आग का दरिया है
जिसको जाकर मेरे समुन्द्र में गिरना है
जब तक उस दरिया का मैं शीतल नहीं कर देता
तेरे दिल का चैन तुझे जीने नहीं देगा …..
By
Kapil Kumar
Awara Masiha
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