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किसके लिए…..

Awara Masiha - A Vagabond Angel
Awara Masiha - A Vagabond Angel
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किसके लिए यूँ चमक रही हो ,
जिसकी आँखों  बसी हो उसे तो तड़पा रही हो ….
जिसे दिखता हो रोज़ाना  ,
उसकी आँखे क्यों चौंधिया रही हो ..
उसे अब तुम दिखलाई नहीं दोगी ,
फिर क्यों अपने की सजा रही हो …
जो करता है तुम्हारे हुस्न की पूजा ,
उससे अपने को छिपा  रही हो ..
जब इस खीर को कोई खा ही नहीं सकता…
फिर क्यों इतनी मेहनत से इसे पका रही हो ..

किसके लिए यूँ चमक रही हो ,

जिसकी आँखों  बसी हो उसे तो तड़पा रही हो ….

जिसे दिखता हो रोज़ाना  ,

उसकी आँखे क्यों चौंधिया रही हो ..

उसे अब तुम दिखलाई नहीं दोगी ,

फिर क्यों अपने की सजा रही हो …

जो करता है तुम्हारे हुस्न की पूजा ,

उससे अपने को छिपा  रही हो ..

जब इस खीर को कोई खा ही नहीं सकता…

फिर क्यों इतनी मेहनत से इसे पका रही हो ..

BY

KAPIL  KUMAR

Awara Masiha


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