Menu
blogid : 25540 postid : 1370677

ज़िन्दगी का कैनवास …..

Awara Masiha - A Vagabond Angel
Awara Masiha - A Vagabond Angel
  • 199 Posts
  • 2 Comments
ज़िन्दगी का कैनवास …..
मायूस जिन्दगी के कैनवास पर
कुछ खुशियों  और गम की लकीरे खींच रहा हूँ
इन लकीरों से जो तस्वीर उभरी है
उससे मैं अपनी जिन्दगी का सच कह रहा हूँ
इन आड़ी तिरछी खुशियों  और ग़म  की लकीरों ने
एक ऐसा मासूम सा सच उकेरा है
जिसने इस तस्वीर के सच  को मेरे सामने यूँ बिखेरा है
देखता हूँ दूर से तो ,सब कुछ पूरा पूरा सा लगता है
तस्वीर में उभरता मायूस सा चेहरा भी प्यारा सा लगता है
जब जब इस तस्वीर के मैं करीब चला जाता हूँ
ना जाने क्यों इस तस्वीर में कुछ कमी सी पाता हूँ
लगता है जैसे कहीं  कुछ खाली सा रह गया
या फिर लगता है जैसे तस्वीर में कहीं  से रंग फीका हो गया
सोचता हूँ की यह खालीपन, अधूरी  खुशियों की लकीरों से है
या तस्वीर का अधूरापन ,मेरी जिन्दगी का  ही सूनापन है
या फिर मुझे कुछ ज्यादा ही रंगीन देखने की चाह है
या फिर इसकी कुछ और वज़ह है
कलम उठाकर सोचता हूँ की इस सूनेपन को मैं कुछ कम कर दूँ
कुछ  ख़ुशीयो की लकीरों  को उकेर के , इसके अधूरेपन को भर दूँ
या फिर किसी के प्यार और विश्वास के रंग  से इसके खालीपन को  भर दूँ
जैसे ही मैं जिन्दगी की तस्वीर में, कुछ और रंग भरता हूँ
इसे तो अब  मैं , पहले से कुछ और बदरंग  करता हूँ
तस्वीर का यह भद्दापन ना जाने क्यों
गम की छिपी हुई लकीरों को और चमका जाता है
अच्छी खासी तस्वीर को कुछ से कुछ कर जाता है …
फिर सोचता हूँ की  उभरी हुई ग़म  की , इन लकीरों को ही  मिटा दूँ
तस्वीर को खुशियों की नयी लकीरों  से कुछ और  सजा दूँ
जैसे ही गम की लकीरों को मैं  तस्वीर से मिटाने लगता हूँ
तस्वीर पर  उभरे  हुए अक्श की पहचान गंवाने   लगता हूँ
है बड़ी उलझन की मैं यह समझ नहीं पाता
ना तो इसमें मैं ख़ुशीयो की लकीरें जोड़  सकता
ना ही किसी के प्यार के रंग को और   भर सकता
और ना ही ग़म  की लकीरों को इसमें से हटा पाता ….
अब यह जिन्दगी  कुछ आधी अधूरी सी तस्वीर बनके रह गई है
जो जीवन के इस सच को पूरा बयां करती है
ना तो यह  जिन्दगी और ना ही कोई तस्वीर
अब मुझे मुक्कमल सी लगती है
शायद यह है देखने का नज़रिया अपना अपना
की जिन्दगी में ख़ुशी कम है या ग़म  ज्यादा
या फिर इसमें खुशियों की लकीरों क्यों कम है
या क्या  ग़म  की लकीरों पर   रंग है जरूरत से ज्यादा ??


मायूस जिन्दगी के कैनवास पर

कुछ खुशियों  और गम की लकीरें  खींच रहा हूँ

इन लकीरों से जो तस्वीर उभरी है

उससे मैं अपनी जिन्दगी का सच कह रहा हूँ


इन आड़ी तिरछी खुशियों  और ग़म  की लकीरों ने

एक ऐसा मासूम सा सच उकेरा है

जिसने इस तस्वीर के सच  को मेरे सामने यूँ बिखेरा है

देखता हूँ दूर से तो ,सब कुछ पूरा पूरा सा लगता है

तस्वीर में उभरता मायूस सा चेहरा भी प्यारा सा लगता है


जब जब इस तस्वीर के मैं करीब चला जाता हूँ

ना जाने क्यों इस तस्वीर में कुछ कमी सी पाता हूँ

लगता है जैसे कहीं  कुछ खाली सा रह गया

या फिर लगता है जैसे तस्वीर में कहीं  से रंग फीका हो गया



सोचता हूँ की यह खालीपन, अधूरी  खुशियों की लकीरों से है

या तस्वीर का अधूरापन ,मेरी जिन्दगी का  ही सूनापन है

या फिर मुझे कुछ ज्यादा ही रंगीन देखने की चाह है

या फिर इसकी कुछ और वज़ह है

कलम उठाकर सोचता हूँ की इस सूनेपन को मैं कुछ कम कर दूँ

कुछ  ख़ुशीयो की लकीरों  को उकेर के , इसके अधूरेपन को भर दूँ

या फिर किसी के प्यार और विश्वास के रंग  से इसके खालीपन को  भर दूँ


जैसे ही मैं जिन्दगी की तस्वीर में, कुछ और रंग भरता हूँ

इसे तो अब  मैं , पहले से कुछ और बदरंग  करता हूँ

तस्वीर का यह भद्दापन ना जाने क्यों

गम की छिपी हुई लकीरों को और चमका जाता है

अच्छी खासी तस्वीर को कुछ से कुछ कर जाता है …


फिर सोचता हूँ की  उभरी हुई ग़म  की , इन लकीरों को ही  मिटा दूँ

तस्वीर को खुशियों की नयी लकीरों  से कुछ और  सजा दूँ

जैसे ही गम की लकीरों को मैं  तस्वीर से मिटाने लगता हूँ

तस्वीर पर  उभरे  हुए अक्श की पहचान गंवाने   लगता हूँ

है बड़ी उलझन की मैं यह समझ नहीं पाता

ना तो इसमें मैं ख़ुशीयो की लकीरें जोड़  सकता

ना ही किसी के प्यार के रंग को और   भर सकता

और ना ही ग़म  की लकीरों को इसमें से हटा पाता ….


अब यह जिन्दगी  कुछ आधी अधूरी सी तस्वीर बनके रह गई है

जो जीवन के इस सच को पूरा बयां करती है

ना तो यह  जिन्दगी और ना ही कोई तस्वीर

अब मुझे मुक्कमल सी लगती है

शायद यह है देखने का नज़रिया अपना अपना

की जिन्दगी में ख़ुशी कम है या ग़म  ज्यादा

या फिर इसमें खुशियों की लकीरों क्यों कम है

या क्या  ग़म  की लकीरों पर   रंग है जरूरत से ज्यादा ??

By

Kapil Kumar

Awara Masiha

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh