kalam se
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देश फिर से नेताओं के सहारे चलता रहा तो हमारा देश दोबारा गुलामी की जंजीरों में जकड़ सकता है। क्योंकि हम अपने देश की अंदर की समस्याओं को तो सही कर ही नहीं पा रहे हैं और बड़े बड़े नेताओं के भाषण यह हैं कि आतंकवाद हमले तो हम रोक नहीं सकते। लेकिन यह आतंकवाद का दंश हमारे देश को खोखला कर रहा है उसके बावजूद दूसरे पड़ोसी राज्य आपस में दोस्ती कर रहे हैं तो यह कोई बड़ी बात नहीं है क्योंकि तालिबान अफगानिस्त से मिल रहा है और अफगानिस्तान पाकिस्तान से पाकिस्तान चीन से दोस्ती कर रहा है अगर यह देश मिल गए और उन्होंने मिलकर भारत पर आक्रमण किया तो हमारा देश फिर से इन देशों की गिरफ्त में आ जाएगा और हमारे देश के वरिष्ठ नेता कहते ही रहेंगे कि हम यह रोक नहीं सकते थे और हम फिर से गुलाम हो गए।
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