अंतर्नाद
- 64 Posts
- 1122 Comments
ओ, दसरथ माँझी !
ओ ! दसरथ माँझी, ओ ! दसरथ माँझी
जियरा तू पोढ़ कइलो दसरथ माँझी |
जाना उस पार बीचे बाटै पहाड़
काटौ पाथर-गरब अपार
हाथ-गोड़ लोह कइलो दसरथ माँझी |
सोनवा कै गाछ जग जतन के हाथ
छिनी-हथौड़, संकलपहि साथ
तुहुँ रहिया सोझ कइलो दसरथ माँझी |
जिनगी मोहताज घर मौनी-अनाज
सबसे बड़-खर पेट कै आग
मेहनत कोख कइलो दसरथ माँझी |
जनम रेहार करम कैसे न लिलार
करमहि बदलत जग-संसार
धुन आपन जोत कइलो दसरथ माँझी |
देसवा महान भारू तबहूँ परान
परबत-पौरुष मिले न दाम
कूवत से भोर कइलो दसरथ माँझी |
●
— संतलाल करुण
Read Comments