Menu
blogid : 12407 postid : 1086103

देहियाँ पे गाढ़ा चुंबन

अंतर्नाद
अंतर्नाद
  • 64 Posts
  • 1122 Comments

देहियाँ पे गाढ़ा चुंबन


जड़ दिहला हो, रामा ! जड़ दिहला

सगरौ देहियाँ पे गाढ़ा चुंबन, जड़ दिहला |


हथवौ से जड़िला, नजरियौ से जड़िला

बहियाँ में लइके अँकवरियौ से जड़िला

अंगै-अंग होंठवा मुहर किहला |


उरौ पे जड़िला, उर-फुलवौ पे जड़िला

अँगुरियन कै टोहवा कुछ नहिं छोड़िला

पोरै-पोर रसवा भर दिहला |


हियवा कै छपवा हियरवा में उतरल

मनुआँ कै हिरना चेहरवा पे उछरल

सेजिया इंद्र-धनुसवा कर दिहला |


रामै कै देह, रामै तोहरा चुंबन

रामहि बरनवा, राम-रसरी में दुइ तन

सौ-सौ जनमवा रामा ! हर लिहला |


— संतलाल करुण

Read Comments

    Post a comment