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“लौट कर आना ही था…!!!”

सांस्कृतिक आयाम
सांस्कृतिक आयाम
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गीत ये गाना ही था

लौट कर आना ही था

रह गए थे काम कुछ

उनको निबटाना ही था


कुछ मेरी यादें भी थीं

यहाँ की बातें भी थीं

दोस्त थे बिछड़े हुए

उनका दोस्ताना भी था;

गीत ये गाना ही था

लौट कर आना ही था…

वो अजब लम्हात थे

हर दर्द से आज़ाद थे

दिल्लगी करते थे सब

सब बहुत दिलशाद थे

आज चुप-चुप सा हूँ लेकिन

तब मैं भी दीवाना ही था;

गीत ये गाना ही था

लौट कर आना ही था…

—–

था सफ़र लंबा बहुत

थी बड़ी मुश्किल मगर

साथ सबकी दुआएं थीं

आ गया मैं लौट कर

साथी जो रूठे थे उनको

कभी तो मनाना ही था;

गीत ये गाना ही था

लौट कर आना ही था…

———

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