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नीतीश ने झूठ क्यों बोला

गोल से पहले
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एक गाना सुना था इशारों को अगर समझो राज को राज रहने दो…। गाने की तर्जुमानी इस आलेख के शीर्षक पर यूं तो बहुत बहस की जरूरत नहीं दिखती, पर जिस तरह हुंकार रैली के दौरान रविवार को पटना में सिलसिलेवार विस्फोट हुए व आनन-फानन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पल्ला झाड़ते हुए कह डाला कि इसकी कोई खुफिया सूचना उन्हें नहीं थी और इसके ठीक अगले रोज जिस तरह आइबी ने उनकी पोल खोली, इससे यह सवाल अब लाख टके का तो है ही कि आखिर नीतीश ने झूठ क्यों बोला? इस सवाल का जवाब तलाशने का काम कई स्तरों पर शुरू हो चुका है। भाजपा निहितार्थ ढूंढ़ रही है, कांग्रेस अर्थार्थ, आइबी वाले सूचनार्थ लगे हैं, जनता दर्शनार्थ है। आइए हम भी कल्याणार्थ कुछ करते हैं…। सब्जेक्ट है, नीतीश ने झूठ क्यों बोला?

सोचने की बात यह है कि आदमी झूठ कब बोलता है। एक तो फितरतन (आदतन) झूठ बोलता है। यानी उसे झूठ बोलने की आदत होती है और वह बात-बात में झूठ बोलता रहता है, बोलता ही रहता है। दूसरा बड़बोलेपन में आदमी झूठ बोलता है। बड़बोलापन होता ही ऐसा है कि जब तक झूठ न बोलो काम नहीं चलता। झूठ न बोलो तो बड़बोलापन क्या? भोलेपन में भी आदमी झूठ बोलता है। अपनी जान बचाने के लिए तो झूठ बोलने को शास्त्र भी जायज ठहराते हैं। प्यार और जंग में जब सब जायज के हालात बन आएं तो आदमी झूठ बोलता है। खामख्वाह भी आदमी झूठ बोलता है। मगर, अपना सब्जेक्ट है नीतीश ने झूठ क्यों बोला?

अपराध करने वाला झूठ बोलता है। कितने अपराधी हैं जिन्होंने सीधे-सीधे अपना अपराध स्वीकार कर लिया हो? ऐसे अंगुलियों पर गिने जा सकते हैं। आजाद भारत में नेतागीरी का जिस तरह इकबाल बुलंद हुआ है और अपराधी भी इस धंधे में अपनी जोर आजमाइश करने लगे हैं, तब से नेता भी झूठ बोलने लगे हैं। आचार संहिता लागू होने के पहले से लेकर सरकार के गठन और उसके भी बहुत बाद तक वे झूठ बोल रहे हैं…। झूठ पकड़ा गया तो यही बोल कर निकल जाते हैं कि ऐसा मैंने कब बोला। झूठे लोग, झूठा वादा…। मगर, अपना सब्जेक्ट है नीतीश ने झूठ क्यों बोला?

जो जिद्दी होता है, वह भी झूठ बोलता है। अहंकारी तो झूठ बोलता ही बोलता है। अहसान न मानने वाला आदमी भी झूठ बोलता है। नशा करने वाला भी झूठ बोलता है। सत्ता के नशे से भी बड़ा कोई नशा है? तो ऐन-केन-प्रकारेण सत्ता हासिल करने वाला या हासिल करने की मंशा रखने वाला भी झूठ बोलता है। एक बार सत्ता मिल गई और वह छिन न जाए, इसके लिए भी आदमी झूठ बोलता है। आजकल तो झूठ बोलना भी व्यापार है। व्यापारी भी झूठ बोलता है। झूठ की सीमा अपरंपार है। मगर, अपना सब्जेक्ट है नीतीश ने झूठ क्यों बोला?

माफ कीजिएगा, इतनी लंबी विवेचना के बाद भी साफ तौर पर पता नहीं चलता कि नीतीश ने झूठ क्यों बोला। नीतीश ही कुछ प्रकाश डालें तो बेहतर हो। हां, एक बात का ध्यान दिलाना चाहूंगा। एक झूठ को छिपाने के लिए सौ झूठ बोलने पड़ते हैं। इंतजार कीजिए, कुछ और झूठ जरूर बोले जाएंगे। और निश्चित मानिए, बोले जाएंगे तो पकड़े भी जाएंगे, सामने भी आएंगे…।

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