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आजाद,बोस आदि आज भी आतंकवादी हैं.

kaushal vichar
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बड़ी व्यथा है मन में,अजीब सी टीस उठती है जब आजादी के ६० साल बाद भी कुछ इतिहास की किताबो में महान क्रांतकारियों के ऐतिहासिक कार्यों को आतंकवाद के श्रेणी में लिखा हुआ है. ऐसी ही एक किताब जो की बहुत मशहूर है उसका जिक्र यहाँ पर किया जा रहा है.
ओरियंट ब्लैकश्वान पब्लिकेसन की किताब है,आधुनिक भारत का इतिहास और लेखक है, विपिन चंद्रा.यह किताब २०१० में पुनःमुद्रित है.बड़े शर्म की बात है की इतनी मशहूर किताब को सभी लोग पढ़े जा रहे है और किसी का ध्यान पृष्ठ संख्या २५१ और २५२ पर नहीं जा रहा.जहाँ शीर्षक ही क्रांतकारी आतंकवाद का विकास लिखा हुआ है.कितने राष्ट्रीय शर्म की बात है की इतने सालो बाद भी अंग्रेजों की महान गलतियों को हमारे इतिहासकार बदस्तूर दोहराते जा रहे हैं.
इस देश में जहाँ एक फूल भी राष्ट्रप्रेमियों के राहों में न्योछावर होने की कामना करता है. वही दूसरी तरफ हमारे अपने देश वासी अपने महान राष्ट्रप्रेमियों को भूलते जा रहे है जिनकी आत्मबलिदान और संघर्ष के बदौलत आज हम सब आजादी की साँस ले रहे है.
केवल १५ अगस्त और २६ जनवरी को कर चले हम फ़िदा जान वतन साथियों और दे दी हमें आजादी के तरानों को बजा कर और लड्डू बांटकर हम सब अपने कर्तब्यों की इतिश्री कर लेते है.जाग जाओ वरना जैसे तुम्हे अपने इतिहास की फिक्र नहीं है तो आने वाले समय में तुम्हारा भूगोल भी गायब हो जायेगा और पता भी नहीं चलेगा.
जय हिंद
जय भारत.

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