kavita
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मायका माँ से पिता से पीहरवो सोये तो खोया एक घरबचपन के वो खेल खिलोनेमेले ठेले नज़रेंऔर वो टोनेउड़ी पतंगें कटा वो मांझाडोर वो टूटी खोया बचपन साझाना अब वो खील खिलोनेना ही लैया तिल औ ढूंढेना पीली अबरक की साड़ीना सौंधी गुड़ की महक वो प्यारीकहाँ गया वो बचपन घर वो टूटाखो गया मायका पीहर वो छूटामहक वो पीहर के गुजरे दिनों कीले गयी उड़ा के दूर समय सेके जगा दिया मुझको बेटी नेलिपट केआँचल में छिप छिप करजग गयी अचानक ख्वाब से ज्यूँ मैंऔर समझ गयी जग की सच्चाईमाँ गयी नही है भरम है मेरावो मुझमें ही है आन समायीमायका माँ से, पिता से पीहरवो सोये तो खोया एक घर llबचपन के वो खेल- खिलोनेमेले- ठेले ,नज़रेंऔर वो टोनेउड़ी पतंगें, कटा वो मांझाडोर वो टूटी खोया बचपन साझा llना ही अब वो खील खिलोनेरहे ना लैया, तिल औ ढूंढेना पीली अबरक की साड़ीना सौंधी गुड़ की महक वो प्यारीगया कहाँ बचपन, घर वो टूटाखो गया मायका पीहर है छूटाले गयी उड़ा के दूर समय सेमहक वो मेरे बालापन कीके जगा दिया मुझको बेटी नेलिपट केआँचल में छिप छिप करजग गयी अचानक ख्वाब से ज्यूँ मैंऔर समझ गयी जग की सच्चाईमाँ गयी नही है भरम है मेरावो मुझमें ही है आन समायी
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