kavita
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पल पल में बदलते मिज़ाज़
किस कदर बे ऐतबार हो गया मौसम
के रोज रंजिशों की तरह बदलते हुए रंग
कभी बादल की घनी छाँव
कभी तूफ़ान की तरह खूंख्वार हो गया मौसम
लगता है कि
इंसान की तरह बे ऐतबार हो गया मौसम
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