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कृष्ण के साथ राधा की पूजा क्या उचित है?

आक्रोशित मन
आक्रोशित मन
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यदि समाज में कोई विवाह पूर्व या विवाह पश्च्यात पुरुष दूसरी औरत से या स्त्री दुसरे मर्द से प्रेम संबंध रखती है तो उसे समाज में अनैतिक कहा जाता है,उसे चरित्रहीन कहा जाता है ।
यही समाज कृष्ण और राधा के विवाह पूर्व संबंधो को ईश्वरीय सम्बन्ध कह के पूजता है । जबकि समाज में नैतिकता को बढ़ावा देने के लिए कृष्ण की पत्नी रुक्मणी को पूजना चाहिए, उनकी प्रेमिका राधा को नहीं।

वैसे राधा की पूजा उत्तर भारत में पहले नहीं होती थी , न ही बृज में राधा की उपासना कृष्ण के साथ नहीं होती थी ।
प्रसिद्ध इतिहासकार डाक्टर हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार कृष्ण के साथ राधा की पूजा पश्चिम बंगाल से आइ है। ‘ प्रेम विलास’ और ‘भक्ति रत्नाकर’ जैसे ग्रंथो के अनुसार नित्य प्रभु( बंगाल के चैतन्य महाप्रभु के सहयोगी) की छोटी पत्नी जाह्नवी जब वृन्दावन आई तो उन्हें यह देख कर अत्यंत दुःख हुआ की श्री कृष्ण के साथ राधा की मूर्ति की कंही पूजा नहीं होती। घर लौटकर उन्होंने नयन भास्कर नामक कलाकार से राधा की मूर्ति बनवाई और उसे व्रन्दावन भिजवा दिया । जीव गोस्वामी की आज्ञा से वह मूर्ति श्री कृष्ण के बगल में रखी गई और तब से राधा और कृष्ण की पूजा साथ साथ होने लगी ।

इसलिए समाज को चाहिए की राधा की पूजा न कर के फिर भी यदि पूजा करनी ही है तो कृष्ण और रुक्मणी की की जाये।

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