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विदेशी देवी देवता- भारतीय देवी देवता

आक्रोशित मन
आक्रोशित मन
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प्राचीन यूनानी प्रकृति में देवी देवताओ का वास मानते थे और उनके द्वारा ही प्रकृति का संचालन मानते थे , वे इन प्रकृतिक देवी देवताओ की आकृति मनुष्यों जैसी मानते थे और उन्हें अमर समझते थे।

उनका बादलो / वर्षा का देवता जीयस था , जो खुश होके बारिस करता था और क्रुद्ध होके सूखा लाता था। समुन्द्र का देवता पोसिडिन था जो क्रुद्ध होने पर अपने त्रिशूल से झकझोरता और समुन्द्र में तूफ़ान पैदा करता , वह क्रुद्ध होके धरती पर भूकंप भी लाता था ।जल श्रोतो की देवियाँ कन्यायो के रूप में चित्रित की जाती थी ।वन का देवता सटिरोस था जो विभिन्न औषदियों का स्वामी था। शराब का देवता डायोनियास था। व्यापार/ समृद्धि का देवता हर्मिज था। कलाओ का देवता अपोलो था।

यूनानियो के अनुसार समाज व्यवस्था का निर्माण भी देवताओ ने ही किया था , देवताओ ने कुछ लोगो को संम्पन्न और बाकी को गरीब/ दास बनाया था।
उनका कहना था की जो वर्ग व्यवस्था का विरोध करेगा उसे देवताओ के क्रोध का शिकार बनना पड़ेगा ।

यूनानी शासक विजित क्षेत्रो में अपने देवी देवताओ के मंदिर बनवाते थे जिसमें वे हारे हुए राज्य के लोगो को खलनायक बना के उनको अपने देवताओ द्वारा मारा हुआ दिखाते।

ध्यान रहे की यूनानी कवि होमर की इलियड महाकाव्य वें वर्णित घटनाओ और रामायण में बहुत समानता है।

भारतीय धर्म ग्रंथो में देवी देवताओ को को प्रकृतिक रूप से जोड़ा गया है , इन देवी देवताओ की आकृति और क्रियाकलाप मनुष्यों जैसी मानी गई है ।
जैसे वर्षा/ बदलो का देवता इंद्र, शराब का देवता सोम, औषदियो का देवता अश्वनी, व्यापर/ समृद्धि का देवता कुबेर है। भारतीय धर्म ग्रन्थ भी समाज के वर्णों को देवताओ द्वारा निर्मित कहते हैं।

जबकि प्राचीन भारतीय सभ्यता सिन्धु घाटी सभ्यता की खुदाई में किसी मंदिर या मूर्ति के चिन्ह प्राप्त नहीं हैं।

तो मित्रो, आपसे अनुरोध है की इस लेख से ‘आर्य विदेशी- अनार्य मूलनिवासी’ का आशय कदापि न लगाये , यह लेख मात्र जानकारी के लिए है ।
देश सभी का हैऔर हमें अब मिलजुल कर रहना है।

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