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किस ऑफ़ लव- शोर के पीछे सच क्या है?

आक्रोशित मन
आक्रोशित मन
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पुरे देश में दो दिन से जो प्रमुख मुद्दा छाया हुआ है वह है ‘ किस आफ लव’ ,। इस मुद्दे को इतना उछाला गया की देश भर की मिडिया को सिर्फ दिखाने के लिए यही खबर बची रह गई। अखबार भी दो दिनों से इसी खबर को मुख्य विषय में खबर छापे जा रहे हैं। सोशल मिडिया पर यही किस आफ लव छाया हुआ है, पुरे देश की जनता इस हंगामे में उलझ के रह गई ।

क्या ‘ किस ऑफ लव’ का बवंडर अचानक ही उठ गया? क्या इसके पीछे कोई रणनीति काम कर रही थी? संघ को निशाने पर रख कर यह हंगामा किया गया और संघ ही चुप… कोई सफाई नहीं , कोई प्रतिक्रिया नहीं।
ऐसा क्यों ? क्या यह कोई सोची समझी रणनीति काम कर रही थी इसके पीछे?
यदि आप मेरी तरह मामले को गहराई से देखेंगे तो शायद आपको भी वह समझ में आ जाये जो मैं समझ रहा हूँ ।

दो दिन पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा जाति आधारित जनगणना के विषय में फैसला आना था , फैसला जाति आधारित जनगणना के विरोध में आया । सुप्रीम कोर्ट ने कहा की जाति आधारित जनगणना करवाना केंद्र सरकार का काम है ।

जबकि मद्रासहाईकोर्ट ने 2008 और 2010 में के जाति आधारित जनगणना करवाने का आदेश दिया था ।

हाई कोर्ट के अनुसार-सामाजिक न्याय के उद्देश्य को प्राप्त करने को सरकार जल्द से जल्द समयबद्ध ढंग से जाति आधारित जनगणना कराए। 1931 के बाद कभी जाति आधारित जनगणना नहीं हुई है, जबकि एससी-एसटी और ओबीसी की जनसंख्या कई गुना बढ़ी है। ऐसे में सरकार कमजोर वर्ग के हितों के मद्देनजर जाति आधारित जनगणना करा कर 1931 की जनगणना के आधार पर तय किया गया आरक्षण का फीसद उसी हिसाब से बढ़ाना चाहिए।

पर केंद्र सरकार जाति आधारित जनगणना नहीं करवाना चाहती थी इसलिए वह मद्रास हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई ।
सुप्रीम कोर्ट ने ख़ामोशी से फैसला केंद्र सरकार के पक्ष में दिया ।

यदि मिडिया किस आफ लव जैसे बेकार के मुद्दे को नहीं उछालता तो संभव था की लोगो (SC/St/obc) को केंद्र सरकार के इस मानसिकता का पता चल जाता और असलियत समझ जाते?

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