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राजनितिक दलों ने इस तरह चुनना चाहिए लोकसभा उम्मीदवार

Vo Subah Kabhi To Ayegi.....B.D. Khambata
Vo Subah Kabhi To Ayegi.....B.D. Khambata
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चुनाव के समय योग्य प्रत्याशी को खड़ा करना सभी राजनितिक दलों के लिए एक कठिन काम होता है। भारतीय जनता पार्टी और इंडियन नेशनल कांग्रेस जैसे दलों पर यह आरोप लगता रहा है कि प्रत्याशी को ऊपर से थोपा जाता है। अरविन्द केजरीवाल पर भी आरोप लगे थे कि उन्होंने भी पारदर्शिता का केवल दिखावा किया और प्रत्याशी ऊपर से थोप दिए। यदि कार्यकर्ताओं कि पसंद से प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे जाते तो फिर उनके द्वारा इतना ज्यादा विरोध क्यों था ? सभी राजनितिक दलों ने याद रखना चाहिए कि कार्यकर्ताओं का असंतोष ही चुनाव में हार का कारण बनता है।
मैं यहाँ एक ऐसी आदर्श प्रणाली बता रहा हूँ जिसके अनुसार यदि ये दल प्रत्याशी का चुनाव करेंगे तो सभी कार्यकर्ताओं का प्रत्याशी को समर्थन मिलेगा, उनकी पार्टी से जनता जुड़ना चाहेगी और चुनाव में जीतने कि सम्भावना बढ जायेगी। लोकसभा के लिए जो भी पार्टी का कार्यकर्त्ता चुनाव लड़ना चाहे उससे फॉर्म में अन्य आवश्यक जानकारी के साथ ही प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से उसे समर्थन देने वाले 25 या 50 कार्यकर्ताओं का हस्ताक्षर युक्त समर्थन पत्र संलग्न करना आवश्यक हो। इन समर्थन देने वाले कार्यकर्ताओं को 5 वर्ष के लिए एक्टिव मेम्बर का दर्जा देते हुए उन्हें पार्टी कि और से परिचय पत्र भी दिया जाए, इन कि जवाबदारी होगी अपने प्रतिनिधि से क्षेत्र में काम करवाना और प्रतिनिधि से शिकायत होने पर बड़े नेताओं को बताना। फॉर्म के साथ दस हजार रूपये भी लिए जाएं ताकि चुनाव लड़ने के लिए जो गम्भीर हो वही फॉर्म भरे। एक निश्चित दिन सभी उम्मीदवार और एक्टिव मेंबर को बुलाकर वोटिंग करवाई जाए लेकिन दो उम्मीदवारों पर वोट डालना आवश्यक हो। इससे यह होगा कि एक वोट तो उसे डाला जायेगा जिसका वे समर्थन कर रहे होंगे और दूसरा वोट उसको डालेंगे जो सभी उम्मीदवारों में वाकई अच्छा होगा। सभी के सामने गिनती करवाकर उसी समय सबसे ज्यादा वोट मिलने वाले को प्रत्याशी के रूप में घोषित कर दिया जाये। इस तरह यह चयन कि पूर्ण पारदर्शी प्रक्रिया होगी और इसमें वही जीतेगा जो वाकई जनता और कार्यकर्ताओ के बीच अच्छा काम करेगा।
इस तरह यह चयन कि पूर्ण पारदर्शी प्रक्रिया होगी और इसमें वही जीतेगा जो वाकई जनता और कार्यकर्ताओ के बीच अच्छा काम करेगा। अरविन्द केजरीवाल जी, नरेंद्र मोदी जी और राहुल गांधी जी ने स्वीकार करना चाहिए कि जनता और उनके बीच कि महत्वपूर्ण कड़ी कार्यकर्त्ता ही हैं। और लोकतंत्र में सांसद जैसे महत्वपूर्ण पद के योग्य चयन के लिए पारदर्शिता अत्यंत आवश्यक है।
आपके सुझाव आमंत्रित हैं एवं अनुरोध है कि अपने नेताओ तक भी यह लेख पहुंचाए। धन्यवाद।

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