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दैनिक जागरण क्यों बलात्कारियों को बचाता है ???

Vo Subah Kabhi To Ayegi.....B.D. Khambata
Vo Subah Kabhi To Ayegi.....B.D. Khambata
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जागरण के ही स्वामित्व के अख़बार नईदुनिया उज्जैन ने अनाथ बच्चों पर हो रहे बलात्कार एवं घोर अत्याचार को प्रथम प्रष्ठ पर उजागर किया था जिसके कारण वरिष्ठ पत्रकार को जागरण के मालिकों द्वारा नौकरी से निकाल दिया गया था. निश्चय ही वे भी अपराधियों के साथ कठघरे में खड़े हैं क्योंकि क्या वे सार्वजनिक रूप से जवाब देंगे की वे अपराधियों को क्यों बचाना चाहते हैं ? दस महीने बीतने के बाद भी बच्चे अभी तक आजाद नहीं हो पाए हैं और दरिंदगी का शिकार हो रहे हैं.
दिल्ली की गुडिया के साथ जिस तरह पूरी दिल्ली एवं मीडिया खड़ी दिखी उससे लगा की अभी लोगों की संवेदना मरी नहीं है. लेकिन देश में और भी गुड़ियाएं हैं जो अमानवीय शारीरिक प्रताड़ना पा रही हैं लेकिन पूरा देश नपुंसक बनकर चुप क्यों है ? दिल्ली के साथ पूरा देश खड़ा दिखता है, देश के सभी शहरों में रेली निकाली जाती है लेकिन उन शहरों में हो रही ऐसी ही घटनाओं पर यहाँ की जनता और पूरा मीडिया भी मौन रहता है. क्यों है ऐसा ?
५ जून २०१२ — मेरी सूचना पर मजिस्ट्रेट का अधिकार प्राप्त बाल कल्याण समिति उज्जैन ने सेवाधाम आश्रम उज्जैन (म.प्र.) पर पत्रकारों की उपस्तिथि में छापा डाला जिसमें पाया गया था की वहां अवैध रूप से ७१ बच्चे रखे गए थे. जांच में यह सिद्ध हुवा की गूंगी बहरी बच्चियों के साथ आश्रम संचालक सुधीर गोयल द्वारा बलात्कार किया जाता है, मासूमों को कंस के समान दीवार पर फेंककर मार दिया जाता है, उन्हें बेचा जाता है, उन्हें अचानक गायब कर दिया जाता है, उनपर ड्रग ट्रायल हो रहा है जिसके कारण वे मारे जा रहे हैं, नाबालिग बच्चियां बिना शादी के मां बन रही है, और इस तरह उनपर घोर अत्याचार हो रहा है. समिति द्वारा और बाद में राज्य के बाल संरक्षण आयोग द्वारा भी कलेक्टर उज्जैन को आदेश दिया गया था की तुरंत बच्चों को अन्य आश्रमों में शिफ्ट किया जाये और आश्रम संचालक सुधीर गोयल पर सख्त कार्यवाही की जाये. लेकिन उसे प्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराजसिंह चौहान का संरक्षण मिलने से आज भी बच्चे मुक्त नहीं हो पाए हैं.
उल्लेखनीय है की ड्रग ट्रायल्स (दवाओं का परिक्षण) के कारन वहां २४०० से भी ज्यादा मौतें हो चुकी हैं, अपराध उजागर होने से रोकने के लिए १०० से भी ज्यादा क़त्ल किये गए हैं, कई लोगों को मारकर गाढ़ दिया गया है जिनके कंकाल आश्रम परिसर में खुदाई करने पर निकलेंगे. इतना सब होने के बावजूद राजनैतिक संरक्षण के कारन कोई भी कार्यवाही नहीं हो रही है. सब से ज्यादा दुःख की बात यह है की जागरण के ही स्वामित्व के अख़बार नईदुनिया ने बच्चों पर हो रहे अत्याचार को प्रथम प्रष्ठ पर उजागर किया था जिसके दंड स्वरुप वरिष्ठ पत्रकार को जागरण के मालिकों द्वारा नौकरी से निकाल दिया था. निश्चय ही वे भी अपराधियों के साथ कठघरे में खड़े हैं. क्या वे सार्वजनिक रूप से जवाब देंगे की वे अपराधियों को क्यों बचाना चाहते हैं? इसी तरह जी न्युझ ने भी प्रसारण शुरू करने के बाद उपरी दबाव के कारण रोक दिया था. सवाल ये है की वे बेसहारा जिनका पूरी दुनिया में कोई नहीं है और वे स्वयं न्याय के लिए नहीं लड़ सकते हैं उन गुडियाओ के लिए दिल्ली वासी और मीडिया कब आवाज उठाएंगे ? मेरे जैसा वृद्ध अकेला व्यक्ति उनको न्याय दिलाने के लिए लड़ रहा है , क्या आप इस पुण्य कार्य में मेरा साथ देंगे ?

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