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क्या देश के मुसलमान मोदी विरोधी हैं?

खट्ठा-मीठा
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आजकल अख़बारों और चैनलों पर बड़ी जोर शोर से यह बताया और दिखाया जा रहा है कि सलमान खान की नयी फिल्म ‘जय हो’ उतना बिजनेस नहीं कर सकी है, जितना उनकी पिछली फिल्मों ने किया था. उनका तर्क है कि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सलमान खान की फिल्म ‘जय हो’ का बहिष्कार करने की अपील की थी, क्योंकि सलमान ने नरेंद्र मोदी जी की तारीफ़ कर दी थी.

इस तरह के समाचार देने वाले यह सिद्ध करना चाहते हैं कि देश के मुसलमान मोदी जी के विरोधी हैं और जो कोई भी उनकी तारीफ़ करता है, उसके भी विरोधी हो जाते हैं. दुसरे शब्दों में वे यह कहना चाहते हैं कि मोदी जी मुस्लिमों के लिए अछूत बन गए हैं.

यह बात मूलतः गलत है. मोदी जी की सभाएं जहां भी हो रही हैं, उनमें बड़ी संख्या में मुस्लिम भी आते हैं. भाजपा में भी मुस्लिम नेताओं और कार्यकर्ताओं की अच्छी संख्या है. इसलिए ऐसे निष्कर्ष निकाल लेना गलत है.

वैसे यह फिल्म फ्लॉप नहीं रही है. इसने अन्य बहुत सी फिल्मों की तुलना में अच्छा बिजनेस किया है. इसलिए इस फिल्म को भी हिट कहा जा रहा है. अब यह तो संभव नहीं है कि हर अभिनेता ही हर फिल्म सुपर हिट हो जाए. बड़े-बड़े दिग्गजों की फ़िल्में भी फ्लॉप रही हैं.

इसलिए मेरा कहना है कि किसी एक फिल्म के बिजनेस के आधार पर कोई राजनैतिक निष्कर्ष निकालना मूर्खता है. देश के मुसलमान मोदी विरोधी नहीं हैं. उनमें एक बड़ी संख्या में मोदी जी के प्रशंसक भी हैं. यह अवश्य है कि अधिकांश मुसलमान तथाकथित सेकुलर दलों के जाल में फंसे हुए हैं. पर यह कोई नई बात नहीं है. ऐसा तो हमेशा से रहा है.

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