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राजीव के हत्यारों का क्या किया जाये?

खट्ठा-मीठा
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मा. सर्वोच्च न्यायालय ने राजीव गाँधी के हत्यारों को इस आधार पर फाँसी से मुक्त कर दिया है कि उनकी दया याचिका के निपटारे में अनावश्यक देरी की गयी। न्यायालय का यह निर्णय सही है, क्योंकि हम किसी अपराधी की फांसी को अनिश्चित काल तक लटकाये नहीं रख सकते। ऐसा करना मानसिक अत्याचार और क्रूरता है। अगर किसी अपराधी को फांसी की सजा सुनाई गई है और सभी न्यायिक प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी हैं, तो फाँसी का क्रियान्वयन तत्काल कर दिया जाना चाहिये। उसको दया याचिका के बहाने लटकाये रखना अनुचित है।

लेकिन दया याचिका पर शीघ्र फैसला न करने के लिए स्वयं कांग्रेस सरकार दोषी है। पिछले १० वर्ष से केन्द्र में कांग्रेस की सरकार और उसी के बनाये राष्ट्रपति रहे हैं। वैसे भी सोनिया गाँधी ने राजीव के हत्यारों को माफ करने की अपील की थी। इसलिए यदि न्यायालय ने उनकी फांसी को उम्र कैद में बदल दिया है तो वह उचित ही है।

दूसरी ओर जयललिता का यह कहना कि हम हत्यारों को रिहा करेंगे, बहुत अनुचित है। किसी अपराधी की उम्र कैद समाप्त करने का अधिकार राज्य सरकार को नहीं है। यह अधिकार केवल न्यायालय का है। अगर अपराधियों की उम्र कैद पूरी हो गयी है या होने वाली है, तो उसके लिए निर्धारित प्रक्रिया पूरी होने पर ही उनको रिहा करना चाहिये। इसमें हस्तक्षेप करने का जयललिता का इरादा निंदनीय है। इस बारे में राहुल गाँधी का रोष सही है।

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