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राहुल गाँधी का इंटरव्यू

खट्ठा-मीठा
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अरनब गोस्वामी के साथ राहुल गाँधी की बातचीत का पूरा विवरण मैंने अंग्रेजी और हिंदी दोनों में पढ़ा है और इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूँ कि राहुल को जो बबलू या पप्पू कहा जाता है वह एक दम सही है. इस इंटरव्यू में इनकी नालायकी पूरी तरह सिद्ध हो गयी है.

मेरे यह मानने के कई कारण हैं, जिनको संक्षेप में लिख रहा हूँ-

१. अरनब ने कई बार एक ही सवाल को बार-बार जोर देकर पूछा, लेकिन हर बार राहुल गाँधी पूरी बेशर्मी से मूल सवाल को टाल गए और और अपनी ही बात दोहराते रहे, जिसका सवाल से कोई सम्बन्ध नहीं था.

२. राहुल के पास मोदी जी के खिलाफ केवल एक बात थी कि 2002 में गुजरात में दंगे हुए थे, तब मोदी जी मुख्य मंत्री थे, इसलिए वे जिम्मेदार हैं. लेकिन वे अरनब की इस बात को गोल कर गए कि 2002 के अलावा देश भर में अनेक बार दंगे हुए तब कांग्रेस की सरकारें थीं, 1984 के दंगों के समय राजीव गाँधी प्रधान मंत्री थे, तब वे दोषी क्यों नहीं थे?

३. 1984 के दंगों में कांग्रेस के कई मंत्रियों को अदालत द्वारा दोषी ठहराया गया है और सजा भी दी गयी है, फिर भी राहुल गाँधी यह दावा करते रहे कि उन दंगों में कांग्रेस पार्टी या सरकार शामिल नहीं थी. दूसरी ओर, जिन मोदी जी को सभी जांच एजेंसियों और न्यायालयों द्वारा दोष मुक्त किया जा चुका है, उनको वे दंगों के लिए बार-बार दोषी बता रहे थे. क्या यह न्यायिक प्रक्रिया में उनके अविश्वास का प्रमाण नहीं है?

४. राहुल गाँधी से पूछा गया था कि आप दस साल में पहली बार इंटरव्यू दे रहे हैं, इससे पहले क्यों नहीं दिया? उनका उत्तर था कि मैं पहले प्रेस कांफ्रेंस करता रहा हूँ. क्या यह उनकी मूर्खता नहीं है कि आमने-सामने के इंटरव्यू को प्रेस कांफ्रेंस के बराबर बता रहे हैं?

और भी कई बातें हैं, जिनसे मेरे निष्कर्ष की पुष्टि होती है. पर अभी इतना ही बहुत है.

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