Menu
blogid : 12388 postid : 693902

सर्वेक्षणों के मायाजाल से सावधान

खट्ठा-मीठा
खट्ठा-मीठा
  • 83 Posts
  • 121 Comments

आज कल एक के बाद एक सर्वेक्षण आ रहे हैं, सब अपने-अपने सर्वेक्षण पूरी तरह सही होने का दावा कर रहे हैं, फिर भी सब अलग-अलग परिणाम दिखा रहे हैं. इनमें से सब तो एक साथ सही हो नहीं सकते. इसलिए इनमें कोई न कोई गड़बड़ जरूर है.

सबसे बड़ी गड़बड़ यह है कि ये सर्वेक्षण जनता की उत्सुकता यानी भविष्य को पहले ही जान लेने की इच्छा का फायदा उठाते हैं. फुटपाथों पर बैठे हुए अधकचरे ज्योतिषी भी ठीक यही करते हैं. इनमें से जिसकी वाणी हमें अपने मन के अनुकूल लगती है, उसे हम सही मान लेते हैं, और जो हमें पसंद नहीं आती, उसे गलत मान लेते हैं.

आजकल जो सर्वेक्षण दिखाए जा रहे हैं वे किसी न किसी समाचार चैनल या अखबार से जुड़े हुए हैं और अपने चैनल या अखबार को प्रचारित करने का माध्यम हैं. इनमें से कोई भी यह दावा नहीं कर सकता कि उनके पिछले सर्वेक्षण सही निकले थे. वास्तव में सबके अनुमान कहीं न कहीं गलत सिद्ध हुए थे और कई तो बुरी तरह गलत सिद्ध हुए थे.

पिछली बार जिनका तुक्का लग गया था, वे भी दावे के साथ नहीं कह सकते कि इस बार भी उनका अनुमान सही निकलेगा. वास्तव में जिनका तुक्का लगा था, वैसे परिणाम देश की राजनीति पर नज़र रखने वाले लोग भी बिना किसी सर्वेक्षण के निकाल सकते हैं और वे परिणाम उतने ही सही या गलत निकलेंगे, जितने ये तथाकथित वैज्ञानिक सर्वेक्षण निकलते हैं.

विदेशों में भी चुनाव पूर्व तथा अन्य बहुत से मामलों पर सर्वेक्षण किये जाते हैं और आश्चर्य होता है कि उनके अनुमान ज्यादातर सही ही निकलते हैं. इसका कारण यह हो सकता है कि उनकी प्रकृति पूरी तरह वैज्ञानिक होती है और वे परिस्थितियों सेप्रभावित हुए बिना निष्पक्ष आकलन करते हैं. भारत में ऐसा संभव ही नहीं है, क्योंकि यहाँ सर्वेक्षण करने और कराने वाले लोग इस या उस राजनैतिक दल से जुड़े होते हैं.

इस समय के अधिकाँश सर्वेक्षण भाजपा के गठबंधन को बहुमत के निकट पहुँचते हुए दिखा रहे हैं. यह तो सबको बिना किसी सर्वेक्षण के भी पता है कि भाजपा को मोदी जी के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत नहीं तो बहुमत के बहुत निकट पहुँचने के अच्छे अवसर हैं. फिर भी लोग इन सर्वेक्षणों की चर्चा करते हैं और अपनी विचारधारा के अनुसार खुश या दुखी होते हैं.

भाजपा कार्यकर्ताओं को इन सर्वेक्षणों पर भरोसा करके नहीं बैठ जाना चाहिए. ये उनको अति आत्म विश्वास से भरकर निष्क्रिय कर देने के षड्यंत्र भी हो सकते हैं. ऐसा पहले हो चुका है. इसलिए उनको चाहिए कि सर्वेक्षण चाहे जो कहें, उन्हें अपना लक्ष्य प्राप्त होने तक लगातार काम करते रहना है और मोदी जी को प्रधानमंत्री पद तक पहुंचाए बिना चैन से नहीं बैठना है.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply