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महाभोज
राम कृष्ण खुराना
मई की तपती दुपहरी में घर से बहर निकलने का साहस वही करता है जो लू के थपेडे सहने के लिए विवश हो ! ऐसे समय में ग्राहक न होने के कारण हम सब दुकानदार किसी एक की दुकान पर बैठकर गप्पें हांक कर तथा किसी की निन्दा-प्रशंसा करके समय व्यतीत करते हैं !
उस दिन की बैठक मेरी दुकान पर थी ! “सरदार जनरल स्टोर” का कृपाल सिहं मेरे काऊंटर पर बैठा उस लडकी के बारे में बता रहा था जो अकसर उसकी दुकान से सौदा लेने के लिए आती थी ! कई बार सौदा व पैसे लेते-देते कृपाल सिंह ने उस लडकी का हाथ जानबूझ कर छुआ था !
“कौनो काम मिल जाई बाबू जी ?” तभी फटी बनियान व मैला जांघिया पहने एक 13-14 साल के बालक ने प्रश्न दाग दिया ! हम सबका ध्यान उधर खिंच गया !
“जा ओये, भाग जा एथों से ! यां कोई कम्म-वम्म नईं है !” कदाचित कहानी में अवरोध आ जाने के कारण कृपाल सिंह उबल पडा !
मुझे उस धूल भरे मासूम चेहरे पर दया आ गई ! मैंने सरदार की परवाह न करते हुए शांत भाव से उससे पूछा – “क्या काम कर सकते हो ?”
“जोन काम मिल जाई, करब ! दुई दिन से भुक्खा हई, साहेब !” उसका चेहरा व आंखें दीनता की कहानी कह रहीं थीं !
“इसे कुछ पैसे दे देने चाहिंए !” सामने स्टूल पर बैठे “अशोका ड्राई क्लीनर” के अशोक ने सुझाव दिया ! मैंने उसे पैसे देने के लिए दराज़ खोला ही था कि कृपाल सिंह पुनः पंजाबी-मिश्रित हिन्दी में बोला – “नई यार ! ये सब ऎवें ही कैते रह्ते हैं ! ऎसे तरह से तो ये लोग भीख मंग्गण लग जाते हैं !”
“चल ओये भज्ज जा ऎथों !” कृपाल सिंह ने फिर उस बालक को घुडक दिया !
बालक असमंजस में खडा इधर-उधर देखने लगा ! तभी सडक की दूसरी ओर से “मेवा फ्रूट शाप” के मेवा लाल ने आपनी टोकरी में से एक सडा हुआ संतरा निकाल कर सडक पर फेंक दिया ! बालक संतरे को देखकर उसे उठाने के लिए तेजी से सडक की ओर दौडा ! तभी दूसरी ओर से तेज स्पीड में एक ट्रक आ गया ! वह ट्रक मेवा लाल द्वारा फेंकें हुए संतरे को कुचलता हुआ निकल गया ! बालक के भाग्य से संतरे का आधा हिस्सा ही टायर के नीचे आ पाया था ! बचे हुए आधे संतरे को बालक ने लपक कर सडक से उठा लिया और बन्द पडे “पंजाब हेयर कटिंग सैलून” के छप्पर के नीचे बैठ कर इस प्रकार से खाने लगा जैसे वह कोई महाभोज खा रहा हो !
इस दृश्य को देख कर कृपाल सिंह का मुंह आश्चर्य से खुला रह गया ! हम सब भी एक-दूसरे से नज़रें चुराने लगे !
राम कृष्ण खुराना
9988950584
khuranarkk@yahoo.in
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