KADLI KE PAAT कदली के पात
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मुक्तक
जीवन के दर्द दिल को दहला देते हैं,
कभी-कभी कांटे भी दर्द को सहला देते हैं !
ज़ख्मी दिल से जब निकलते हैं सर्द फव्वारे,
ये पतझड से सूखे होंठों को हिला देते हैं !!
मिले हैं गम मुझको उनके ‘एह्सान’ से,
ज़हर ही ज़हर मिला है इस जहान से !
किसी गुनाह की सज़ा मिलती तो गम न होता,
हम बेगुनाही की सज़ा भुगत रहे नादान से !!
मर-मर के जीना भी एक मज़बूरी है,
मिले घाव छिपा के सोना भी एक मज़बूरी है !
कभी खुशी नसीब नहीं होती है जिंनको,
खुशी की तलाश मे आंसू पीना भी एक मज़बूरी है !!
क्या करे कोई जब अपनो का सहारा न हो,
नाव मझधार में ही डूबेगी गर सामने किनारा न हो !
मौत से टक्कर लेने का क्या फायदा,
जब जिन्दगी ने चौखट पे आकर खुद पुकारा न हो !!
राम कृष्ण खुराना
9216888063
khuranarkk@yahoo.in
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