Menu
blogid : 16014 postid : 743899

शुक्रिया ,शुक्रिया शुक्रिया

Dil Ki Aawaaz
Dil Ki Aawaaz
  • 67 Posts
  • 79 Comments

शुक्रिया उस रब का जिसने मुझे जीवन दिया , शुक्रिया उस माँ का जिसने मुझे जन्म दिया ,शुक्रिया उस पिता का जिसने मुझे परवरिश दी , शुक्रिया उन भाई बहिन का जिन्होंने मुझे प्यार दिया , शुक्रिया मेरे पति का जिसने मुझे अपना प्यार दिया और हर वक्त मेरा साथ दिया, शुक्रिया सासु माँ का जिन्होंने मुझे आशीर्वाद दिया ,शुक्रिया सभी दोस्तों का जिन्होंने मुझे सराहा , शुक्रिया मेरे बेटे का जिसने मुझे सम्मान दिया शुक्रिया आप सब का जिन्होंने मुझे समय दिया और मेरी लेखनी को आत्मबल दिया |
सबसे अधिक तो मैं जागरण जक्शन की आभारी हूँ जिन्होंने मुझे ऐसा मंच दिया जिसके जरिये मैं अपने विचारो को आप तक पहुचाने में समर्थ हुई |
मैं एक हाउस वाइफ हूँ और ये जो लिखने का शौक है ये मेरे अंदर न जाने कब अपने आप ही पनप गया | पहले तो लगा ये सब मैंने कैसे लिख दिया अपना लिखा खुद ही पढ़ती और हैरान होती कि ये मैंने लिखा है फिर मुझे यकीन होता गया कि मेरे अंदर कोई है जो लिखता है बस फिर मैं दिल से इस कार्य मैं लग गई मैंने तो कभी ऐसा सोचा भी नहीं था परन्तु जीवन को व्यर्थ नहीं गवाना है ऐसा जरूर सोचती थी |
ग्रेजुएशन अभी पूरा हुआ ही था और मैंने कंप्यूटर कोर्स ज्वाइन किया कि अपनी लाइफ को कुछ काबिल बना सकूँ और अपनी पहचान बना सकूँ |
मेरा ये सपना की मेरी कोई पहचान हो , दुनिया में मेरा नाम हो सबसे अलग हट कर दुनिया में मेरी शान हो ये मेरा सपना सपना बन कर ही रह गया क्योंकि में ऐसा कुछ नहीं कर पाई जिससे मेरा सपना पूरा हो सके |
मेरे साथ भी वही हुआ जो ज्यादातर लड़कियों के साथ होता है मतलब मेरी शादी हो गई और मेरा कोर्स बीच में ही छूट गया जबकि aptic computrs की ब्रांच में में अपना कोर्स कम्पलीट कर सकती थी पर ससुराल में किसी को इंट्रेस्ट नहीं था की में अपना कोर्स cpmplete करूँ |
मैंने भी अपना पूरा ध्यान अपने घर पर ही दिया लेकिन दिल में कभी कभी ये बात जरूर उठती की काश मैं कुछ कर पाती | फिर मेरे जीवन में मेरा बेटा आया जिसने मेरी जिंदगी को नया मोड़ दिया जिसके साथ में दिन रात व्यस्त हो गई और ये भूल ही गई की मुझे जीवन में कुछ करना है |सारा दिन मम्मी जी ,पतिदेव और अपने बेटे के लिए ही जीने लगी और खुश थी |
बेटा स्कूल जाने लगा तो और भी कुछ सोचने का टाइम नहीं था क्योंकि उसके साथ ही सारा टाइम बीत जाता और पता भी न चलता मैं तो जैसे भूल ही गई थी कि मेरा भी कोई सपना था जिसके लिए मुझे जीना है |
समय बीतता गया और मैं अपनी गृहस्थी में आगे बढ़ती गई |सुबह घर के कामों में और शाम बेटे को पढ़ाने में और दूसरी जिम्मेदारियां निभाने में बीतने लगी पता भी नहीं चला कि ये सब करते करते कई साल बीत गए और मेरा बेटा बड़ा हुआ उसकी उम्र के साथ उसकी कक्षा भी बड़ी हो गई और एक दिन उसने कहा कि उसको अब घर पर कंप्यूटर चाहिए ताकि वो प्रैक्टिस कर सके इसलिए हमने उसके लिए कंप्यूटर खरीदा जिसे देख कर वो बहुत खुश हुआ |
मेरे बेटा तीव्र बुद्धि का है स्कूल में भी वो सदा अच्छा रहा है उसको कुछ भी सीखने में टाइम नहीं लगाता बल्कि वो अपने आप ही कई चीजे कर लेता है |
घर में कंप्यूटर आया बेटा तो खुश हुआ ही मेरे अंदर भी एक अजीब सी ख़ुशी थी न जाने कैसे में कई साल पीछे चली गई और मेरी जो इक्छा समय के नीचे दब गई गई थी वो फिर से पनप गई मुझे लगा शायद अब मुझे जिंदगी ने ये मौका दिया है कि अपने सपने को जिंदगी दे सकूँ |
मैंने अपना होंसला मजबूत किया और जब कभी समय मिलता तो कंप्यूटर ऑपरेट करने कि कोशिश करती जिसमे मुझे मेरे पति ने बहुत साथ दिया में दोपहर को उनको फ़ोन कर के कंप्यूटर ऑपरेट करना सीखती जब कभी वो व्यस्त होते तो मैं अपने पापा को या फिर अपनी बहिन को फ़ोन कर के कंप्यूटर का ज्ञान प्राप्त करती | मुझे मेरे बेटे ने भी कंप्यूटर क्लासेज दी और जब भी मैं अटकती तो वो अपनी पढ़ाई में से समय निकाल कर मेरी मदद करता|
धीरे धीरे मुझे सब आने लगा क्योंकि अब मैं खाली समय में सिर्फ अपनी लिखने कि कला को विकसित करती और या फिर कंप्यूटर पर कुछ करने कि कोशिश करती |
एक दिन मैंने दैनिक जागरण पेपर में जागरण जक्शन का आपकी आवाज़ आपका ब्लॉग वाला पेज पढ़ तो मेरे अंदर ये तमन्ना जाग गई कि में भी अपना एक ब्लॉग बनाऊ और उसमे लिखा करू तो शायद इस तरह मैं घर बैठे ही कुछ कर पाउंगी और शायद अपना सपना भी पूरा कर सकूँ | फिर क्या था मैं जुट गई ब्लॉग बनाने कि कोशिश मैं और कई दिनों कि मेहनत के बाद मेरी कोशिश कामयाब हुई जिसमे जागरण जक्शन ने मेरी मदद की |
जब मुझसे ब्लॉग नहीं बन पा रहा था तो मैंने जागरण जक्शन की वाल पर अपना मोबाईल नंबर भी लिख दिया और साथ मैं या भी लिखा की कृपया ब्लॉग बनाने में मेरी मदद करिये मैं आपकी आभारी रहूंगी |
एक दिन मुझे फ़ोन आया और जो शख्स बात कर रहे थे उन्होंने बोला की मैं जक्शन परिवार से बोल रहा हूँ और आपकी मदद करने के लिए फ़ोन किया है बस मैं तो ख़ुशी से चहक उठी यूं लगा की जैसे मेरे सपना ही पूरा हो गया हो वो कहते है न की पहली सीढ़ी पर कदम पड़ते ही बच्चा खुश हो जाता है जैसे कि वो सबसे ऊपर पहुंच गया हो बस वही हाल मेरा था मैंने उन महोदय से सब समझा और फिर कोशिश की जिसमे मैं सफल हुई और मैंने अपना ब्लॉग बनाया ”दिल की आवाज़ ”|
आज जब मैं अपने लिखे हुए पर आप सब के विचार पढ़ती हूँ तो दिल को ख़ुशी होती है और जब भी कभी अपने लिए आदरणीया आदि शब्दों को पढ़ती हूँ तो वो ख़ुशी और बढ़ जाती है लगता है कि क्या मैं भी इस लायक हूँ |
जब मैन खुश हो कर अपने बारे में लिखे विचारों को अपने बेटे को बताया तो उसने बोला इससे आप को क्या फायदा आप को कुछ मिल तो रहा नहीं मगर वो नादान है वो नहीं जानता कि ये ऐसी ख़ुशी है जिससे सिर्फ में खुश हो सकती हूँ और मेरे लिए इस ख़ुशी का कोई मोल नहीं |
…………………………………………………………………………………………………………………………………..अब तो आप सब जान ही चुके है कि वो अंजलि अरोरा जिसे आप पढ़ते है और सराहते है वो किस तरह आप सबके सामने पहुंच पाई ऐसे में वो अंजलि अगर हर पल भी उन सबका शुक्रिया करे जिनकी वजह से वो यहां तक पहुंच पाई तो भी कम है |
इसलिए तहे दिल से मैं जागरण जक्शन परिवार का और इस परिवार के उस सदस्य का जो भगवान स्वरुप मेरी मदद कर गए आभार प्रकट करती हूँ|
…………………………………………………………………………………………………………………………………..मुझे फर्श से अर्श तक पहुचाने का शुक्रिया
मुझे घर बैठे सफलता दिलाने का शुक्रिया
मुझे अपने परिवार का सदस्य बनाने का शुक्रिया
मुझे सब के दिलों तक पहुचाने का शुक्रिया
मुझे मेरी नज़र में उठाने का शुक्रिया
मुझे नयी जिंदगी दिलाने का शुक्रिया
शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया
LOVE U GOD

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh