Menu
blogid : 16014 postid : 612713

CONTEST , हिंदी देश का गौरव थी देश का गौरव रहेगी

Dil Ki Aawaaz
Dil Ki Aawaaz
  • 67 Posts
  • 79 Comments

contest, हिंदी देश का गौरव थी देश का गौरव रहेगी आज जिस सवतंत्रता से हम अपना जीवन जी रहे है वो स्वतंत्रता हमे उन ही देशवासियों की वज़ह से मिली जो स्वयं को कष्ट पंहुचा कर हमे सुख पंहुचा गये उन लोगो ने हिंदी भाषा को नीव बना कर हमे परतंत्रता के बंधन से मुक्त किया और हमने हिंदी को ही नहीं जिया . वो हिंदी ही थी जो अंग्रेजो से टकराती थी गाँधी जी के हिंदी के भाषण सुन कर ही अंग्रेजो की जान निकल जाती थी. वो लोग ही अलग थे जो कहते थे हिंदी है हम ,हिंदी है हम वर्ना आज के लोगो को तो हिंदी बोलने मैं आती है शर्म हिंदी में ही बापू ने सबको स्वतंत्रता का पाठ पढाया और सुभाष चन्द्र बोस ने हिंदी मैं ही अपना स्लोगन छपवाया वो हिंदी के ही नारे थे जो भगत सिंह ने विधान सभा मैं पुकारे थे वो तो झूल गये हसते हसते फ़ासी के फंदे पर वो भी तो अपनी माँ के प्यारे थे. कई रचनाकार हुए जिन्होंने अपनी लेखनी द्वारा हिंदी भाषा को गौरव के शिखर पर पहुचाया उन्होंने हिंदी है हम , हिंदी है हम , हिन्दोसिता हमारा कह कर देश को विश्वस्तर पर मान दिलाया उन्होंने हिंदी भाषा के द्वारा ही अपने मन के भावों को समस्त देश के सामने प्रस्तुत किया . वो ऐसे लोग थे जिनका एक ही मजहब था एक ही भाषा थी और एक ही नारा था एक हो कर ही उन्होंने अंग्रेजो के खिलाफ लगाया जयकारा था. किन किन का नाम लू जिन देशवासियों ने तन मन की बाज़ी लगाई थी तब जा कर हमने ये धरोहर पाई थी नतमस्तक होती हू उनके जिन्होंने अंग्रेजो से भारत को बचा लिया पर क्या करू उनका जिन्होंने खुद को अंग्रेजी भाषा का गुलाम बना लिया कैसे समझाऊ उनको जिन्हें हिंदी बोलने मैं शर्म आती है उनकी जबान पर तो अंग्रेजी भी डगमगाती है अगर वो हिंदी को भुलायेगे तो जिन्दगी भर गुलाम ही हो कर रह जायेगे . हिंदी तो वो भाषा है जिसने हमे तराशा है हिंदी सुन कर हमको चलना आया हिंदी बोल कर जीवन आगे बढ़ पाया आज फिर क्यों जिद पैर अड़े हुए अंग्रेजी के पीछे पड़े हुए जो न कोई संस्कार सिखाती है बस हाय हाय करवाती है . मेरी मानो तो हिंदी भाषा से ही तुम्हारा भविष्य उज्वल होगा दिल भी सबका निर्मल होगा मैं देशवासियों से आग्रह करती हू की मैं हिंदी मैं जीती हू वो भी हिंदी को अपनाये और अपनी मात्रभाषा का गौरव बढ़ाये धन्वाद हिंदी सभी भाषाओ मैं सर्व्श्रेशत भाषा है जान जाये सब इसका इतिहास यही अभिलाषा है ,इसने ही हमे सब कुछ सिखाया इसने ही हमे तराशा है , क्यों आज की पीढ़ी को हिंदी बोलने मैं होती निराशा है , हिंदी मैं माँ का स्नेह मिला हिंदी मैं पापा का प्यार मिला फिर छोड़ कर क्यों हिंदी को तू विदेशी भाषा की और चला , जहा माँ को मौम पिता को डैड बुलाते है हैं दोना ही निर्जीव बोल भी न पाते है , ये बात क्यों नहीं तुमको समझ मैं आती है हिंदी हिन्दुस्तानियों को ही नहीं विदेशियों को भी भाती है हिंदी हिन्दुस्तानियों को ही नहीं विदेशियों भी भाती है .

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh