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देश के करोड़ों बच्चों को बीते गुरुवार से मुफ्त शिक्षा अनिवार्य तौर पर पाने का अधिकार मिल गया हैलेकिन क्या ये सक्ष वाकई में उन सभी लोगो तक पहुच पायेगी जहा आज भी सड़क मार्ग से जाने में कई मिलो का रास्ता कई घंटो में पूरा होता है गाव के स्कूलों में शिक्षक नियुक्ति भले ले लें,कई के लिए वेतन का माद्यम भर हैं लेकिन वहा हाजिरी देना कोई नहीं चाहता। शिक्षा से संबंधित अनेक जाच कमेटिया इस बात की ओर इशारा कर चुकी हैं क्या सिर्फ कानून बन जाने से इसका हल निकल जाएगा ‘मिड -दे-मिल हो या प्रोड शिक्षा कई तरह के खामिया इनमे रही इनकी सच्चाई छिपी नहीं किसी से नहीं .
तमाम मुश्किलात के बाबजूद भी ये एक शिक्षित भारत का सपना वाकई में एक ऐसा सपना है जो एक नए भारत का निर्माण कर सकता है इसके लिए सरकार को गंभीरता दिखानी पडे़गी साथ हमें भी योगदान करना होगा तभी ये सपना सच हो सकता है
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