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क्रिकेट: धोनी जिम्मेदार, सब गैर-जिम्मेदार
भारतीय मिडिया को जब भी मैं समझने का प्रयास करता हूँ ..मस्तिष्क की अच्छी कसरत हो जाती है | कहा जाता है की क्रिकेट भारत में एक धर्म है|..प्रश्न उठता है की हांकी,फूटबाल, कबड्डी, कुश्ती के देश में क्रिकेट को धर्म बनाया किसने? क्रिकेटरों को भगवान बनाया किसने? जवाब है-भारतीय मिडिया| इसमें कोई शक नहीं की गिनती के कुछ देशों में खेले जाने वाले इस खेल में भारत की आर्थिक ताकत और संतोषजनक खेल ने लोगों को आकर्षित किया| हम भारतीयों का सपना है की भारत भी अमेरिका की तरह विश्व की महाशक्ति बने, यही कारण है की क्रिकेट के खेल में ‘भारत’ की बादशाहत और दादागिरी भी हमें काफी भांति है.!
भारतीय मिडिया में क्रिकेट की हर घटना की जमकर खबर ली/दी जाती है! हाल-फ़िलहाल भारतीय क्रिकेट टीम की इंग्लैंड के हाथों लगातार दो टेस्ट में बड़ी हार ..सबसे बड़ी खबर बनी हुई है | अपने ज़माने के साधारण खिलाडी भी न्यूज़ चैनलों की हॉट प्रॉपर्टी बन गए हैं…चारो तरफ से कप्तान को बदलने की मांग उठ रही है | पूर्व खिलाडी तो फिर भी ठीक है…जिन्हे क्रिकेट की गहरी समझ नहीं है..वे भी बड़े एक्सपर्ट बन गए हैं | अजीब तो यह की, यही मिडिया लगभग दो सप्ताह पूर्व लॉर्ड्स में भारत की जीत पर पूरी टीम को ‘महान’ साबित कर चूका है | आज उसी धोनी की कप्तानी पर सवाल उठाये जा रहे हैं…जिसके कहे अनुसार गेंदबाजी करके ही इशांत मैच के हीरो बन गए | वास्तव में वह एक ऐतिहासिक मौका था की भारतीय तेज गेंदबाज ‘विपक्षी’ को खौफ में डालकर विकेट ले रहे थे | भारतीयों स्पिनरों के पराक्रम का लम्बा इतिहास रहा है, लेकिन तेज गेंदबाजों का खौफनाक प्रदर्शन कभी नहीं देखा गया है|
अगर हम पिछले दो टेस्ट की हार को ही लें..तो एक कप्तान के रूप में धोनी ने क्या गलत किया है | अगर गलत किया भी था तो..गलती करते समय सवाल क्यों नहीं उठे? परिणाम देखकर..’एक्सपर्ट राय’ देने के लिए एक छोटा बच्चा ही काफी है | इस पुरे दौरे में भारत का एक टीम के रूप में प्रदर्शन निराशजक रहा है | भारत ने भले ही लॉर्ड्स में इंग्लॅण्ड को पटखनी दी..लेकिन भारत की बल्लेबाजी सिर्फ चमत्कारों के सहारे ही आगे बढ़ रही थी, …भुवनेश्वर कुमार ने दोनों तरफ से मोर्चा संभल कर ‘प्रारम्भ’ को थोड़ा बेहतर बना दिया, अन्यथा शिखर धवन, विराट कोहली, चेतेश्वर पुजारा, रोहित शर्मा, गौतम गंभीर ने कभी रन नहीं किये…रविन्द्र जडेजा और धोनी एक-दो मौके के अलावे फ्लॉप रहे हैं | बेहतरीन शुरुआत के बाद मुरली विजय लय-तान दोनों भूल चुके है…| बल्लेबाजों के इस शर्मनाक प्रदर्शन के लिए कप्तान जिम्मेदार क्यों है.? क्रिकेट के खेल में बल्लेबाजों के प्रदर्शन पर कप्तान की पकड़ ‘न’ के बराबर होती है ..क्योकि हर बल्लेबाज के साथ कप्तान बल्लेबाजी करे और उसे सुझाव दे , यह संभव नहीं है..इसके विपरीत गेंदबाजों के ऊपर कप्तान की पकड़ ज्यादा होती है..क्योकि कप्तान हर गेंद पर उनके साथ होता है| इस नजरिये से देखें तो…इस पूरी श्रृंखला में भारतीय गेंदबाजों का प्रदर्शन बल्लेबाजों की अपेक्षा काफी उच्चस्तर का रहा है..| लॉर्ड्स में भारत की जीत और उसमे कप्तान धोनी की सलाह पर गेंदबाजी की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी | फिर क्यों है की सवाल सिर्फ कप्तानी पर उठ रहे हैं? एक कप्तान उतना ही बेस्ट होता है…जितनी उसकी टीम होती है| उसके फैसलों को सही और गलत साबित करने का काम पूरी टीम का होता है ..इस प्रयास में कप्तान की भूमिका एक खिलाडी की होती है | ओल्डट्रैफिड में धोनी ने टॉस जीत करके पहले बल्लेबाजी की, ..दो स्पिनरों के साथ यही सही फैसला था | जिस पिच पर दहाई अंक तक पहुचने से पहले सारे बड़े नाम ध्वस्त हो चुके थे |.एक बेहतर कप्तान अपने प्रदर्शन से उदाहरण पेश करता है..और धोनी ने दोनों परियों में कुल १०० से अधिक रन बनाये, और तेज रन बनाने के प्रयास में आउट हुए,…. बल्लेबाजों ने उसका अनुसरण नहीं किया..इसमें धोनी की गलती नहीं है| इस मैच में गेंदबाजों ने बेहतर प्रदर्शन किया ….लेकिन एक बार पुनः फील्डर्स ने उनका साथ नहीं दिया| अगर इस मैच में भारत ने स्लिप में कई आसान कैच नहीं टपकाए होते..इस मैच का परिणाम कुछ और भी हो सकता था |
बल्लेबाजों और क्षेत्ररक्षाकों के शर्मनाक प्रदर्शन के लिए..अगर किसी से सवाल पूछा जाना चाहिए तो…करोड़ों रुपयों का वेतन ले रहे ‘कोच’ और उनके सहयोगियों से पूछा जाना चाहिए | उनकी भूमिका है..खिलाडियों की खामियों की तरफ ध्यान दिलाना ..आखिर ऐसा क्यों नहीं हो रहा है? अगर इस प्रदर्शन के लिए किसी को सजा मिलनी चाहिए तो..इन खिलाडियों को मिलनी चाहिए | इन्हे टीम से बाहर करना चाहिए, जिससे ये अपने खेल पर आत्ममंथन कर सकें.. | रणजी मैचों में खेलकर पुनः अपनी जगह टीम में प्राप्त करें..ऐसा सन्देश दिया जाना चाहिए |
धोनी के ऊपर सवाल उठाने वालों को समझना चाहिए की..एक क्रिकेट टीम में सबसे मुश्किल और महत्वपूर्ण काम विकेटकीपर का होता है…गेंदबाजी के दौरान हर गेंद पर पैनी नजर रखनी होती है | टेस्ट मैच में कभी-कभी दो दिन तक लगातर विकेटकीपिंग करनी पड़ती है | लेकिन उसकी मेहनत को इज्जत नहीं मिलती…| कितनी बार ऐसा हुआ है की किसी विकेटकीपर को ‘विकेटकीपिंग’ के लिए ‘मैन ऑफ द मैच’ मिला है | इसके अलावे बल्लेबाजी भी आनी चाहिए…और धोनी तो कप्तान भी है| कीपिंग, बल्लेबाजी, और कप्तानी..जितनी जिमेदारी…उतने ही सवाल | धोनी की कप्तानी पर सवाल उठाने वाले …भूल जाते है की उपमहाद्वीप में भी धोनी ही कप्तान होते है| क्या हम यह मान लें की…धोनी की सोच यहाँ बदल जाती है| धोनी का दो रूप है| ऐसी बकवास एक क्रिकेट समझने वाला करे तो, उसकी समझ ‘नासमझ’ से भी ज्यादा सस्ती है| धोनी नहीं बदलता, टीम के खिलाडियों का प्रदर्शन बदल जाता है| जो फैसलें इंग्लैंड में गलत साबित हो जाते है, वही यहाँ मास्टर स्ट्रोक साबित हो जाता है|
धोनी को लेकर हाय-तौबा मचाने वाले लोग जब कप्तान बदलने की बात करते हैं, आज इस स्थिति में जब टीम में भुवनेश्वर कुमार के अलावे किसी का प्रदर्शन बेहतर नहीं हो रहा है…क्या उनके पास कप्तान का कोई विकल्प है? कल तक जिस ‘विराट कोहली’ को ‘कप्तान’ बनाने की बात होती थी, आज एक-एक रन के लिए जूझ रहे हैं| कोहली एक बड़े खिलाडी है, और शायद एक बुरे दौर से गुजर रहे हैं…जरुरत है की उन्हें ब्रेक दिया जाय, जिससे आत्म चिंतन का मौका उन्हें मिल सके | इस वक्त में कोहली को कप्तान बनाना …एक खिलाडी के रूप में उनके लिए घातक हो सकता है…और यह बात समझने का प्रयास समझदारो में नहीं दिख रहा है|
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