- 53 Posts
- 83 Comments
‘नरेंद्र मोदी’ एक ऐसा नाम जिसके आस-पास भारतीय राजनीति सिमटता प्रतीत हो रहा है. एक ऐसा नाम जो अपने आप में भारतीय राजनीति का एक पक्ष बन चूका है, और देश में उसके नाम से पक्ष और विपक्ष कि राजनीति हो रही है! जिस तरह के हालत दिख रहे हैं मुझे ऐसा लगता है कि चुनाव बाद सिर्फ और सिर्फ एक ही दल सरकार बनाने कि स्थिति में होगा, ‘भारतीय जनता पार्टी ‘ ! हालाँकि अकेले दम पर बीजेपी के २७२ सीटें लाना किसी चमत्कार से कम नहीं होगा, लेकिन जिस तरह कोंग्रेस विरोध कि लहर चल रही है , (जिसे बीजेपी वाले मोदी कि लहर कहते हैं), मुझे लगता है कि बीजेपी संचालित राजग के लिए सरकार बनाना मुश्किल नहीं होगा, अब तो राजग गठबंधन भी बड़ा होते जा रहा है, विषेशकर दक्षिण भारत में बीजेपी के लिए गठबंधन का महत्व काफी अधिक है!
आज एक ऐसे विषय पर मुझे मंथन करने का मन कर रहा है, जिस पर देश काफी आगे बढ़ चूका है, लेकिन जब भी हम नरेंद्र मोदी ‘एक राष्ट्रिय नेता’ कि बात करेंगे ये प्रश्न काफी अहम् हो जायेगें!, भारतीय जनता पार्टी एक ऐसी पार्टी रही है, जिसमे कभी भी बड़े नेताओं का अकाल नहीं रहा है, यह पार्टी कि ताकत रही है कि एक ही समय में बड़े बड़े कद्दावर नेता रहे हैं, इसके विरुद्ध अन्य राजनितिक दल किसी एक चेहरे या, परिवार कि परिक्रमा करते नजर आये हैं! इस वास्तविक तथ्य को आज के सन्दर्भ में देखें तो, २.5 वर्ष पहले तक भारतीय जनता पार्टी के अग्रणी नेताओं में नरेंद्र मोदी का नाम काफी पीछे था. लाल कृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, राजनाथ सिंह, जसवंत सिंह, जैसे नेता नरेंद्र मोदी से काफी आगे थे….आज के राजनितिक हालत कि कोई सुग-बुगाहट नहीं थी, फिर ऐसा क्या हुआ कि इन बड़े और केंद्रीय राजनीति में कद्दावर नेताओं कि मौजूदगी में एक प्रादेशिक राजनीति से निकलकर नरेंद्र मोदी सबसे बड़े नेता बन गए? इस हकीकत का रहस्य देश कि राजनीति के लिए बेहद अहम् है….
इसमें कोई शक नहीं कि नरेंद्र मोदी जी का चेहरा चमकाने के लिए कई बड़े और सफल प्रयास किये गए…मुख्यतः उन राजनितिक प्रयाशों को घटनाक्रम के अनुशार दो खण्डों में बाँट सकते है १. गुजरात विधानसभा चुनाव पूर्व और, २. गुजरात विधानसभा चुनाव पश्चात !
जहाँ तक प्रश्न नरेंद्र मोदी को लेकर आज के राजनितिक सन्दर्भ में किये गए प्रयाशों का प्रश्न है, मेरे कई बीजेपी समर्थक मित्र इस बात से निस्चय ही इत्तेफाक नहीं रखेंगे, लेकिन यही हकीकत है कि गुजरात विधानसभा चुनाव पूर्व पुरे गुजरात में यह सन्देश फैलाया गया था कि ‘”””अगर नरेन्द्र मोदी इस बार गुजरात जीत गए तो, प्रधानमंत्री बन सकते हैं””” …..यह वास्तव में गुजरात के मतदाताओं को आकर्षित करने का सबसे बड़ा हथियार था ! इस तथ्य को व्यवहारिकता कि नजर से देखें तो, हमें समझाना होगा कि देश में क्षेत्रीय राजनीति कि भी बड़ी भूमिका है! एक आम मतदाता के रूप में हमें बड़ा गर्व होता है कि हमारे प्रदेश का नेता देश का प्रधानमंत्री बने ! वह नेता कितना भी बुरा हो, लेकिन प्रदेश कि गरिमा का ख्याल कर हम उसे वोट दे ही देते है! स्पस्ट है कि नरेंद्र मोदी को लेकर फैलाये गए संदेशों को भी गुजरात कि जनता ने, प्रदेश कि गरिमा और आत्मसम्मान से जोड़ कर देखा, और उन्हें वोट देकर भरी बहुमत से जिताया! यह नरेंद्र मोदी के पहले बड़े रणनीतिक प्रयाश कि जीत थी!
अपने प्रयाश में बड़ी सफलता के बाद नरेंद्र मोदी जी ने बेहद खूबसूरती से गुजरात चुनाव पश्चात दूसरा बड़ा प्रयाश किया,,,,,और पुरे देश में यह सन्देश फ़ैलाने का कार्य किया गया कि, “””‘नरेंद्र मोदी जी गुजरात में इसलिए तीसरी बार जीत पाये, क्योकि गुजरात में बहुत विकास हुआ है'”” पुरे देश में यह माहौल बनाया गया कि नरेंद्र मोदी जी एक विकास पुरुष है! सीधे शब्दों में कहें तो, पहले गुजरात में “भविष्य के प्रधानमत्री के नाम पर वोट माँगा गया, और अब देश में गुजरात के मुख्यमंत्री रूप में किये गए कामों के नाम पर वोट माँगा गया” यह वास्तव में एक बहुत बड़ा राजनितिक घटनाक्रम है, जिसे समझाना एक आम मतदाता के लिए सम्भव नहीं है!
कुछ दिनों लालू यादव पर एक बहुत खूबसूरत चुटकुला प्रचलित हुआ था, –एक बार लालू जी अपने पुत्र कि शादी के लिए बिल गेट्स कि लड़की का हाथ मांगने गए, उन्होंने बिल गेट्स से कहा कि ‘लड़का वर्ल्ड्बैंक में वाइज प्रेसिडेंट है,” बिल गेट्स खुश हुए और शादी के लिए मान गए, …..वहाँ से निकलकर लालू जी, सीधे वर्ल्ड्बैंक के प्रेसिडेंट के पास गए..और उनसे कहा “एक लड़का है जो, बिल गेट्स का होने वाला दामाद है, उसे आप अपने यहाँ वाइज प्रेसिडेंट रख लो” ……वह मन गया और उसने लालू जी के लड़के को वाइज प्रेसिडेंट रख लिया ! लालू जी के ऊपर लिखा गया यह चुटकुला, अवश्य ही काल्पनिक और हास्य के लिए है……लेकिन मोदी जी ने इस जुगाड़ टेक्नोलॉजी का बेहतर उपयोग किया है, अपनी राजनितिक महत्वकांक्षाओं को पूरा करने के लिए …..लोकसभा चुनाव २०१४ कि पृष्टभूमि ऐसी जुगाड़ टेक्नोलॉजी पर आधारित होगी, मुझे नहीं लगता कि किसी ने कल्पना भी कि थी, लेकिन आने वाले समय में भारतीय राजनीति का भविष्य इस जुगाड़ टेक्नोलॉजी के प्रयोग से कैसा होगा, यह देखना उतना ही दिलचस्प होगा, जितना लालू जी का चुटकुला …….हंसिये मत, आचार संहिता लागु है !!!! चुटकुले ही अब नेताओं कि रणनीति और देश कि राजनीति तय करेंगे… ….. के.कुमार. अभिषेक (२३/0३/२१४ )
Read Comments