सीटीबाज मुलायम सिंह । (व्यंग्य/कार्टून)
अबे ओये! महिला आरक्षण बिल अभी पास नहीं हुआ और तू अभी से सीटी मारने की प्रेक्टिस शुरू कर दिया । =>
महिला आरक्षण बिल पर मुलायम सिंह यादव को क्यों एतराज हैं इसके कारण वो धीरे धीरे करके अब जनता को बता रहे हैं । जो मूलभूत कारण उन्होंने गिनाये हैं उनका ध्यानपूर्वक विश्लेषण करने पर यह ज्ञात होता है कि इस बिल का विरोध करने वाले त्रिमूर्ति यादव शिरोमणि को अपनी जाति आधारित राजनीति का बंटाधार होने का डर सता रहा है ।
प्रात:स्मरणीय मुलायम सिंह जी ने महिला आरक्षण बिल के विरोध में जो कारण गिनाये हैं जरा उन पर गौर करिये ।
1- महिलाओं को लोकसभा में 33 प्रतिशत आरक्षण हो जाने पर पहले साल विजयी महिला सांसदों की संख्या 33 प्रतिशत होगी । अगले लोकसभा चुनाव में रोटेशन प्रणाली के कारण दूसरे संसदीय क्षेत्रों से 33 प्रतिशत महिलाएं संसद में आ जायेंगी जबकि पिछले चुनाव में विजयी महिलायें फिर अपनी सीट बचाने के लिये चुनाव लड़ेंगी और जीत जायेंगी । फिर अगले लोकसभा चुनाव में नई सीटों पर 33 प्रतिशत आरक्षण होने के कारण अब लोकसभा में 99 प्रतिशत महिलाएं पहुंच जायेंगी । मुलायम सिंह जी भविष्य की उस लोकसभा का स्मरण करके ही कांप जाते हैं जब लोकसभा में 99 प्रतिशत महिलायें देश की नीतियाँ तय कर रही होंगी । उनका मानना है कि महिलायें कड़े कदम नहीं उठा सकतीं हैं और ऐसे में देश कमजोर हो जायेगा और विदेशी शक्तियाँ हावी हो जायेंगी ।
अपनी जवानी के दिनों में अखाड़े के उस्ताद रह चुके मुलायम सिंह को पूरा भरोसा है कि सपा और लालू प्रसाद जी की राजद की महिलाओं के सामने एक नहीं चलेगी और उन्हें अपने बेटों, भतीजों संग यादवों के पारंपरिक व्यवसाय की तरफ लौटना पड़ेगा । मुलायम सिंह को पक्का भरोसा है कि जब वो अपनी सगी बहू डिंपल यादव को तमाम कसरतों के बावजूद नहीं जिता पाये तब दूसरी बहुओं का तो भगवान ही मालिक है । एक दिक्कत यह भी है कि परिवार में इतनी बहुएं और बेटियाँ भी नहीं हैं कि सभी आरक्षित सीटों पर खड़ी हो सकें । दसरे मुलायम सिंह जी महिलाओं द्वारा उठाये गये कड़े कदमों से बुरी तरह कुचले गये हैं । इंदिरा गाँधी की इमरजेंसी से तो वह किसी तरह बच निकले थे लेकिन मायावती की इमरजेंसी में उनका सांस लेना भी मुश्किल हो गया है । महिलाओं के कठोर कदमों से मुलायम सिंह जी को बहुत डर लगता है ।
2- दूसरा कारण महिला बिल के विरोधी यह गिनाते हैं कि इस बिल के पास हो जाने पर सवर्ण महिलाओं की लॉटरी लग जायेगी और मुस्लिम और दलित महिलाओं का कुछ भी भला न होगा ।
मुलायम सिंह जी की इस दलील में भी कुछ दम नजर नहीं आता है क्योंकि अगर मुलायम सिंह और महिला बिल के दूसरे विरोधी इतने ही दलित और मुस्लिम महिलाओं के हितेषी हैं तो उनको दलित और मुस्लिम महिलाओं को टिकट देने से कौन रोक रहा है । बिल तो सिर्फ 33 प्रतिशत आरक्षण की बात करता है आप चाहें तो अपनी पार्टी के सारे टिकट दलित और मुस्लिम महिलाओं को दे दें । आपके हाथ किसी भी कानून ने नहीं बांधे हैं । और अगर बात दलित महिलाओं के सशक्तिकरण की ही है तो कुमारी, बहन, मायावती जी को अपना पूरा समर्थन दे दीजिये । वो दलित भी हैं और माशाल्ला महिला भी ।
3- बिल के विरोध में एक बड़ा ही व्यवहारिक कारण उन्होंने बड़ा सोच समझ कर बताया कि इस बिल के पास हो जाने से ऐसी महिलायें संसद में पहुंचेंगी जिन्हें देख कर मुस्टंडे सीटी बजाने से अपने को नहीं रोक पायेंगे । बाद में उनकी पार्टी ने सफाई दी की बेरोजगारी के कारण युवक सीटी बाजने का पार्टटाईम काम शुरू कर सकते हैं ।
दोनों ही कथनों पर जरा विचार करें । पहला, महिलाओं को देख कर सीटी मारने के महान विचार अभी तक सिर्फ मुलायम सिंह जी के ही विकसित मस्तिष्क में प्रकट हुये हैं । या हो सकता है कि ऐसे विचार बहुत दिनों से उनके मस्तिष्क में कुलबुला रहे हों कि 99 प्रतिशत महिलाओं को संसद में देख कर सपाई अपने आप को सीटी बजाने से न रोक पायें । या फिर 99 प्रतिशत महिलाएं जब संसद सदस्य हो जायेंगी और सपा संसद से साफ हो जायेगी तब सपाई युवक सड़कों पर सिर्फ सीटी बाजाने का ही रोजगार किया करेंगे ।
कुल मिलाकर यादव त्रिमूर्ति को यही भय सता रहा है कि 33 प्रतिशत महिला आरक्षण से कहीं उनकी संयुक्त परिवार वाली पार्टी की खटिया न खड़ी हो जाये और फिर उन्हें वापस अपने दुग्ध उत्पादन के पारंपरिक कार्य की तरफ लौटना पड़े । मुलायम सिंह को गाय भैंसों के सानिध्य से थोड़ी तकलीफ हो सकती है लेकिन लालू जी तो मुख्यमंत्री और रेल मंत्री रहते हुये भी अपने सरकारी बंगले में दुध दुहने की प्रेक्टिस बरकार रखे हुये थे । लालू जी दूरदर्शी हैं । उनको मालूम है कि राजनीति में तो पक्ष-विपक्ष का नाटक लगा रहता है लेकिन कोई अपने असली धंधे को थोड़े ही भूल जाता है । यकीन न हो तो इंकम टैक्स डिपार्टमेंट से पूछ लीजिये । लालू जी अपनी आय का सबसे बड़ा स्त्रोत दुग्ध उत्पादन ही बताते हैं ।
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