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पांच वर्ष में हर खेत होगा सिंचित , उगलेगा सोना

मुक्त विचार
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देश में १४०२ करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र फल ऐसा है जिसे खेती के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन इसका एक बड़ा भाग परती पडा रहता है | तमाम भाग ऐसा है जिसमे खेती होती है लेकिन भगवान् भरोसे | अगर बारिश हो गयी तो उपज हो जाती है वरना खेत वीरान पड़े रहते है | ऐसे खेतों में किसान के पास ज्यादा आमदनी के हिसाब से जिन्स चुनने का विकल्प नहीं है | अरहर , सरसों या ऐसी ही कुछ और फसले ही ऐसी खेती पर संभव है और इन खेतों की उपज भी सीमित होती है | कल्पना कीजिये अगर हर खेत सिंचित हो जाए तो देश का नक्शा किस तरह बदल सकता है | अपनी किस्मत पर रोने वाले कई किसान परिवार खुशहाल हो सकते है , देश खाद्य सुरक्षा के प्रति आश्वस्त हो सकता है और राष्ट्रीय उत्पादकता के आकड़ों में उल्लेखनीय बढोत्तरी दर्ज की जा सकती है |
महात्वाकांक्षी लगने वाली इन कल्पनाओं के साकार होने के दिन आ गये है | सरकार ५ वर्ष में हर खेत को सीचने का इंतजाम करने पर जुट गयी है और इस योजना को नाम दिया गया है प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना यानी पी ऍम के एस वाई | वर्तमान वित्त्तीय वर्ष २०१५-२०१६ से २०१९-२०२० तक इस पर ५०००० करोड़ रूपए खर्च करने का बजट सरकार ने तय कर दिया है जिसमे से ५३००० करोड़ रूपए इसी वित्तीय वर्ष में खर्च किये जाने है |
हर जगह पानी की उपलब्धता अलग अलग है और इसी के हिसाब से अलग अलग जलवायु व खेती का पैटर्न भी है इसलिए पूरा देश सिचाई के मामले में एक माडल से नहीं हाका जा सकता | इसी के मद्देनजर राज्य और जिला स्तर तक सिचाई साधनों को लेकर प्लानिंग होगी | अगर किसी गाँव में विशिष्ट स्थितियां है तो उस गाँव के लिए बिलकुल अलग माडल प्लानिंग के इस ढाचे में बनना संभव है | अभी तक योजनाये तो बहुत कारगर बनती रही लेकिन वे भ्रष्टाचार की भेट चढकर बजट की बर्बादी के तमाशे के रूप में बदनाम हुई | प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना ऐसे खिलवाड़ का शिकार न हो इसके लिए देश में शीर्ष स्तर से लेकर जिला स्तर तक बारीक अनुश्रवण की व्यवस्था की गयी है | किस राज्य को कितना बजट आवंटित करना है यह देखने का काम निति आयोग का होगा | अगर यह योजना उम्मीद के मुताबिक़ परवान चढी तो देश की आने वाली तस्वीर सचमुच बहुत बेहतर होगी |

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