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सपा का आजम को सबसे बड़ा मुस्लिम चेहरा बनाने का नया पैंतरा

मुक्त विचार
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गुरूवार को समाजवादी पार्टी के फायर ब्रांड नेता आजम खां ने संसद में फिर एक ऐसी हरकत कर दी जिससे नैतिकता का तो तकाजा यह है कि समाजवादी पार्टी शर्मिन्दगी महसूस करके अफसोस जाहिर करें लेकिन अखिलेश यादव ने लोकसभा में उनका बचाव करने की कोशिश करके साबित कर दिया कि समाजवादी पार्टी आजम खां को लेकर शुरू से ही ऐसे दलदल में जा गिरी है जिससे उबरने का कोई रास्ता उसके पास नहीं है।
मामला लोकसभा में तीन तलाक विधेयक पर चर्चा के समय का है। आजम खां जब इस पर बोलने के लिए खड़े हुए उस समय अध्यक्ष के आसन पर भाजपा सांसद रमा देवी बैठी थी। आजम खां ने भाषण शुरू करने के पहले मुख्तार अब्बास नकवी को तलाशते हुए एक शेर पढ़ा तू इधर उधर की बात न कर, तो आसन्दी से रमा देवी ने उन्हें टोकते हुए कहा कि वे उनकी ओर देखकर बात करें। संसद में व्यवस्था बनाये रखने के लिए नियम है कि सदस्य एक दूसरे को लक्ष्य करके बहस नहीं कर सकते। उन्हें आसन की ओर मुखातिब होकर बात करनी पड़ती है। रमा देवी का आशय इस नियम की ओर सहजता से आजम खां का ध्यान आकर्षित करना था लेकिन उनका मिजाज आशिकाना हो गया और उन्होंने ऐसी बातें अध्यक्ष के लिए कह डाली जो किसी महिला से करना कतई शोभनीय नहीं है। हालांकि बाद में जब विवाद बढ़ा और उन पर माफी मांगने का दबाव डाला जाने लगा तो आजम खां ने रमा देवी को अपनी प्यार बहन भी कहा ताकि मामले की लीपापोती हो सके। इसी बीच समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव उनके बचाव में खड़े हो गये। उन्होंने भाजपा के हंगामा कर रहे सदस्यों को बदतमीज कहकर विवाद और बढ़ा दिया जिसके कारण अध्यक्ष ओम बिड़ला को इसे असंसदीय करार देकर कार्यवाही से निकालने का फरमान सुनाना पड़ा।
महिलाओं को लेकर आजम खां की जुबान बेकाबू हो जाने का यह पहला मामला नहीं है। उनके खिलाफ रामपुर से इस बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने पहुंची जयाप्रदा के लिए भी उन्होंने इतनी भद्दी भाषा का इस्तेमाल किया था कि देश भर में महिलाओं ने उनके कारण समाजवादी पार्टी की निंदा की थी। महिला के जिक्र में आजम खां का असंयत होना उनकी विकृत मानसिकता को दर्शाता है। चुनाव के बाद भी उनके भाषण का एक वीडियो लीक हुआ जिसमें उन्होंने जयाप्रदा के लिए फिर वही जुमले दोहराये। दरअसल उनके मन में कोई यौन गंदगी समायी हुई है जो उनकी जुबान पर छलके बिना नहीं रहती।
हालांकि रामपुर के चुनाव में वे मुसलमान होने के कारण पीड़ित किये जा रहे नेता के रूप में अपने को कौमी मतदाताओं के सामने पेश करने में सफल रहे जिससे उनकी अपार सहानुभूति उन्हें मिल गई और वे चुनाव जीत गये। उत्तर प्रदेश की मौजूदा सरकार उन्हें भू-माफिया घोषित कर चुकी है और उनके खिलाफ एसडीएम कोर्ट से 3.27 करोड़ के जुर्माने सहित कई कानूनी कार्रवाइयों को अंजाम दिया जा रहा है। जिसकी काट के लिए वे रणनीति के तहत भी ऐसी बेहूदगियां कर रहे हैं ताकि उनको लेकर सुर्खियां बने और सारे देश में मुसलमानों के बीच अपने को सबसे हीरो साबित करने की गोटी वे फिट कर सकें। जाहिर है कि यह आक्रामक होना ही सर्वश्रेष्ठ प्रतिरक्षा के फार्मूले के अनुरूप है। समाजवादी पार्टी को धर्मनिरपेक्ष खेमें में अपने अस्तित्व के लिए कड़ी प्रतिद्वंदिता का सामना करना पड़ रहा है। समाजवादी पार्टी का वजूद मुसलमानों पर टिका है जिसमें काग्रेस और बसपा की सेंधमारी रहती है। सपा के नेतृत्व को दिख रहा है कि लोकसभा में पहुुचकर अपनी विवादित कार्यशैली से आजम खान ने देश भर में बहुत बड़े मुस्लिम चेहरे के रूप में उभरने की गुंजाइश बना ली है। इसलिए अब समाजवादी पार्टी के लिए उनके पीछे खड़े रहना लाजिमी हो गया है। गत लोकसभा के आखिरी सत्र में मुलायम सिंह ने खुलेआम मोदी के फिर से प्रधानमंत्री बनने की जो दुआ की थी उसके कारण मुसलमानों में सपा के प्रति उपजे संदेह का निराकरण भी आजम खां के चेहरे को आगे रखने से ही हो पायेगा।
हर कौम में विवादित नेताओं को केन्द्र बिन्दु में लाकर समाजवादी पार्टी ने

जो राजनीति की उससे अभी तक उसे लाभ होता रहा है लेकिन अब यह राजनीति उल्टी पड़ने लगी है। खासतौर से यह राजनीति मुसलमानों के लिए बेहद घातक साबित हुई। इस राजनीति से मुसलमानों के हिस्से में बदनामी आयी और इसी कारण उनके विरूद्ध जबरदस्त ध्रुवीकरण का आधार तैयार हुआ। विडंबना यह है कि इसके बाद सपा संस्थापक ने जो रंग दिखाया उससे मुसलमान ठगे रह गये। मुसलमानों में बेहद दानिशमंद नेता रहे हैं जिन्होंने अपने नेतृत्व से समूचे समाज में छाप छोड़ने में सफलता प्राप्त की। ओवैशी की कट्टर छवि भले ही बहुसंख्यक लोगों के बीच हो लेकिन वे इस तरह की मर्यादा कभी नहीं तोड़ते क्योंकि उनके पास मुस्लिम हितों के बचाव के लिए लाजबाव तर्क क्षमता है। इस्लाम पाबंदी और बंदिशों का मजहब है जो औरतों को लेकर बदजुबानी और बेहूदगी की इजाजत कभी नहीं दे सकता। इस कसौटी पर परखें तो आजम खां को सच्चे मुसलमान के दर्जे से खारिज करना पड़ेगा। आज ऐसे मुस्लिम नेतृत्व की जरूरत है जो अमल में खरा हो और उनके साथ हो रही नाइंसाफी को इतने सलीके और असरदार ढ़ंग से देश के सामने रख सके कि सारा देश उनकी हमदर्दी के लिए उमड़ने लगे।

हमदर्दी के लिए उमड़ने लगे।

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