मजदूरों के नाम हर साल अरबों का बजट मनरेगा के खाते में झोंका जा रहा है। इसका फायदा उन मजदूरों तक पहुंचने की बजाय इसके संचालनकर्ता हड़पने में जुट गए हैं। मामले या तो सामने नहीं आते और सामने आ भी गए तो उन पर कार्रवाई नहीं होती। अब तो स्टीमेट और एमबी बनाने की जरूरत भी महसूस नहीं की जा रही है। मनरेगा में गड़बड़ी न हो सके इसके लिए ई-निगरानी की व्यवस्था थोथी साबित हो रही है। बुंदेलखंड में बेहतर रोजगार के साधन नहीं हैं और यहां पर इससे मजदूरों को काफी लाभ होने की उम्मीद थी परंतु यहां पर गड़बडिय़ों का सिलसिला थम नहीं रहा है। जालौन जनपद में ग्राम्य विकास अभिकरण के परियोजना निदेशक श्रीकृष्ण पांडेय ने कदौरा ब्लाक के कानाखेड़ा में सत्यापन किया तो हेराफेरी के कई मामले उजागर हुए। उन्होंने प्रधान व सचिव से रिकवरी के आदेश जारी कर दिये हैं। इस गांव में मिठाईलाल के खेत में समतलीकरण का कार्य कराने में 74 हजार 660 रुपए का भुगतान निकाला गया है। परियोजना निदेशक (पीडी) ने अभिलेख तलब किये तो न स्टीमेट मिला, न ही एमबी। गबन मानते हुए उन्होंने पूरे खर्च की रिकवरी के लिए आदेशित किया।
दादूपुर प्राथमिक पाठशाला से मरघट तक नाला खुदाई के लिए जितना काम माप पुस्तिका में अंकित है उससे 18 हजार 240 रुपए अधिक की निकासी की गयी है। इसकी भी रिकवरी होगी। बिना प्रोजेक्ट अनुमोदित कराये 15 हजार रुपए साइन बोर्ड लगवाने में खर्च दर्शा दिया गया है। पीडी ने इसे नामंजूर कर दिया। शौचालय निर्माण के लिए 60 लाभार्थियों को पूरा धन उपलब्ध कराया जा चुका है इसके बावजूद अभी तक एक भी शौचालय पूर्ण नहीं हो पाया है। परियोजना निदेशक ने नाराजगी जताते हुए जिला पंचायत राज अधिकारी से कार्य पूर्ण कराने के लिए कहा है। 6 लाख 88 हजार 599 रुपए की उपलब्ध धनराशि में यहां 2 लाख 53 हजार 875 रुपए खर्च करने का दावा किया गया है। मनरेगा में पकड़ी जा रही अनियमितताओं पर प्रभावी कार्रवाई नहीं हो रही जिससे इसका सिलसिला बंद नहीं हो पा रहा। नदीगांव विकासखंड के धौरपुर में बेहद गंभीर अनियमिततायें मिली थीं। पीडी ने रिकवरी आदेश के साथ जेसीबी से काम कराने के कारण मनरेगा अधिनियम की धारा 25 के तहत प्रधान के खिलाफ एफआईआर, पदच्युत कर सारे अधिकार समाप्त करने, पर्यवेक्षण न कर लापरवाही का परिचय देने के लिए खंड विकास अधिकारी को प्रतिकूल प्रविष्टि देने और तकनीकी सहायकों के विरुद्ध भी कड़ी कार्रवाई की संस्तुति की थी लेकिन इनमें से किसी पर भी अमल नहीं हुआ। मंडलायुक्त सत्यजीत ठाकुर भी जालौन जिले में मनरेगा में होने वाली गड़बडिय़ों को लेकर अपेक्षित कार्रवाई न होने पर नाराजगी जता चुके हैं। फिर भी सख्ती नहीं की जा रही।
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