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दलहनी जिंस के प्रतिबंध से फार्मों को आजादी

मुक्त विचार
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बोहदपुरा के राजकीय कृषि फार्म में लहलहाती फसल।
बोहदपुरा के राजकीय कृषि फार्म में लहलहाती फसल।

राजकीय कृषि फार्म में दलहनी फसलों की बुआई की अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया है। अब फसल चक्र के हिसाब से बदल-बदल कर खेती करने की छूट कृषि विभाग को दे दी गयी है। बदहाली के कारण बिकने की कगार पर जा पहुंचे राजकीय कृषि फार्मों के रखरखाव के प्रति सरकार फिर से गंभीर हुयी है जिससे इस वर्ष फार्मों की स्थिति काफी अच्छी हो गयी है।
बुंदेलखंड के जनपद जालौन में स्थित चार राजकीय कृषि फार्मों में कृषि विश्व विद्यालयों से प्राप्त उन्नत प्रजातियों के जनक बीज तैयार कराये जाते हैं जिससे खेती में बीज की सतत आपूर्ति बनाये रखने के लिहाज से उन्हें काफी महत्वपूर्ण माना जाता है फिर भी राजकीय कृषि फार्मों की हालत पर कई वर्षों तक गौर नहीं किया गया। रूरा मल्लू का कृषि फार्म तो कृषि विज्ञान केंद्र बनाने के लिए दान कर दिया गया है जबकि बोहदपुरा के कृषि फार्म को भी मंडी बनाने के लिए अधिग्रहीत करने की संस्तुति शासन को भेज दी गयी थी हालांकि कृषि निदेशालय की आपत्ति के कारण बाद में यह प्रस्ताव निरस्त हो गया।

जीर्णशीर्ण हालत की वजह से राजकीय कृषि फार्मों में सिंचाई की सुविधायें भी जवाब दे गयी थीं। संकेत यह दिये जाने लगे थे कि कृषि फार्म सरकार के लिए बोझ बन गये हैं जिससे खेती कराना बंद कर उन्हें बेच दिया जाये या दूसरे कामों में इस्तेमाल किया जाये लेकिन एक वर्ष पहले सरकार की नीति इनको लेकर बदली नतीजतन गिरथान राजकीय कृषि फार्म में सिंचाई सुविधा के लिए बड़ा तालाब खुदवा दिया गया व अन्य कृषि फार्मों में बंद पड़े नलकूपों का रीबोर कराया गया। जिले में सबसे बड़े कदौरा ब्लाक के राजकीय कृषि फार्म में इस बार चना, मटर, गेहूं की फसल लहलहा रही है तो बोहदपुरा में चना और गेहूं की। गिरथान में मसूर व गेहूं की बुआई करायी गयी है और जखौली में चना, मटर व गेहूं की।

बेहतर रखरखाव से इस बार सभी फार्मों में काफी अच्छी उपज मिलने की आशा है। पाला व अन्य प्राकृतिक आपदा के प्रकोप का असर भी बचाव के कारगर इंतजामों के कारण कम है। जिला कृषि अधिकारी बबलू कुमार ने बताया कि बुंदेलखंड में कृषि फार्मों में पहले दलहनी फसलों की ही बुआई अनिवार्य रूप से कराने के निर्देश थे लेकिन एक ही फसल की बार-बार पुनरावृत्ति से उपज मात्रा और गुणवत्ता दोनों में कमजोर हो रही थी।

इसे ध्यान में रख कृषि निदेशालय ने अब फसल चक्र का पालन करने की आवश्यकता के अनुरूप खेती की छूट विभाग को दे दी है। उन्होंने बताया कि बीज ग्राम योजना जिले में इस बार लागू नहीं की गयी है जिसकी वजह से बीज की खेती के लिए जनपद राजकीय कृषि फार्मों पर ही निर्भर है। फार्मों से तैयार होने वाला बीज प्रमाणीकरण विभाग के जरिये चयनित किसानों को आधारीय बीज उपजाने को दिया जाता है। इसके बाद किसानों के प्रमाणित बीज की आपूर्ति आम खेती के लिए की जाती है।

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