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बदलाव की रोशनी से नहाने को आतुर बीहड़

मुक्त विचार
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बच्चे को दवा पिलाते जिलाधिकारी।
बच्चे को दवा पिलाते जिलाधिकारी।

बुंदेलखंड के जनपद जालौन का बड़ा इलाका बीहड़ी है। यहां पर तमाम दस्यु गिरोहों का डेरा दशकों तक रहा है। इसी की परिणति है कि कई गांवों में जरूरी सुविधाएं भी मुहैया नहीं है परंतु अब बड़े गिरोह खत्म होने से फिजा कुछ दल रही है। कुख्यात दस्युओं की वजह से यहां अधिकारी भी जाने से कतराते रहे हैं, लेकिन अब माहौल बदल रहा है। दस्यु प्रभावित रहे लोहिया ग्राम बिलौड़ में 90 प्रतिशत आबादी दस्यु आतंक के कारण एक दशक पहले पलायित हो चुकी है जिसे पुनर्वासित करने का कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया। ग्राम पंचायत तक पहुंचने का रास्ता नदी बीच में होने से दुर्गम है। पचनद के बीहड़ों में बसा रामपुरा विकासखंड का यह गांव आज तक विकास की एक किरण तक के लिए मोहताज है।

पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत पल्स पोलियो अभियान के बूथ दिवस पर जिलाधिकारी रामगणेश ने जब इस गांव को दो बूंद जिंदगी की बच्चों को प्रतीकात्मक तौर पर पिलाने के लिए चुना तो अधिकारियों में खलबली मच गयी। उन्होंने डीएम का निश्चय बदलवाने का काफी प्रयास किया लेकिन सफल नहीं हुआ। सबसे बड़ी मुश्किल डीएम को गांव तक सुरक्षित ले जाने की थी क्योंकि काली सिंध नदी में इस समय पानी बाढ़ पर है और छोटी डोंगी से इसे पार कराने में जोखिम हो सकती थी। आखिरकार कंजौसा पुल से होकर इटावा जिले के हनुमंतपुरा चौराहे से उन्हें यहां लाने का फैसला लिया गया। उधर जखेता से आगे तीन पुलिया टूटी होने से बिलौड़ के अवरुद्ध रास्ते को ठीक कराने के लिए रात भर जेसीबी से काम कराया गया। इसके चलते न केवल डीएम खुद बिलौड़ तक पहुंचने में सफल हुए बल्कि अधिकारियों का पूरा लाव लश्कर उनके साथ पहुंच गया। बिलौड़ में चौपाल लगाकर डीएम ने ग्रामीणों की तकलीफों को धैर्य से सुना। गांव वालों ने बताया कि यहां केवल 15-20 परिवारों के वृद्ध लोग बचे हैं। सारे युवा पहले ही पलायन कर दूर वतन में काम कर रहे हैं। इनमें कई के बच्चे रामपुरा में रहकर पढ़ते हैं। खेती बंजर पड़ी है जिसकी वजह से दस्यु आतंक की समाप्ति के बाद भी वे गांव वापस आने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे। गांव वालों का दर्द सुनकर डीएम पसीजे बिना नहीं रहे। उन्होंने आश्वासन दिया कि वे बिलौड़ ग्राम पंचायत को विकास की मुख्य धारा से जोडऩे में कोई कसर नहीं उठा रखेंगे। उन्होंने पल्स पोलियो बूथ के बारे में पूछा तो बताया गया कि बूथ डेढ़ किलोमीटर दूर जखेता में बनाया गया है। उनके नाराजगी प्रकट करने पर आनन फानन वहां से टीम बुलाकर बिलौड़ में ही बूथ स्थापित कराया गया जहां डीएम ने एक वर्ष के योगेश को पोलियो ड्राप पिलाया।

बिलौड़ में जिलाधिकारी ने चौपाल में खुला माहौल रखा जिससे ग्रामीणों ने बेझिझक प्रशासन की कमियां बताईं। डीएम को बार बार नाराज होते देख अधिकारियों को पूरे समय पसीना छूटता रहा। उन्होंने अधिकारियों को ग्रामीणों की बात का जवाब देने के लिए मजबूर किया। गांव में नये खुले उच्च प्राथमिक विद्यालय में 46 बच्चे पंजीकृत हैं लेकिन तो भी आज तक यहां शिक्षक की नियुक्ति करने की याद बेसिक शिक्षा विभाग को नहीं आयी। जिलाधिकारी ने मौके पर मौजूद खंड शिक्षाधिकारी सर्वेश कुमार की इसे लेकर अच्छी क्लास ली और 2 दिन में शिक्षक की तैनाती कराने को कहा। ठाकुरदास, देवीदयाल, गंगाचरण, रामेश्वर आदि बुजुर्गों ने मोतियाबिंद के कारण चलने फिरने में परेशानी का जिक्र किया। डीएम ने मुख्य चिकित्साधिकारी डा. ध्रुवचंद्र गुप्ता से कहा कि गांव में तत्काल टीम भेजकर इनका परीक्षण करायें और उपचार की व्यवस्था करें। 9 साल पहले यहां बिजली के खंभे गड़वाये थे जिसके बाद 70 लोगों ने कनेक्शन भी करा लिये लेकिन आज तक बिजली नहीं पहुंची। मुख्य विकास अधिकारी एएन सिंह व अपर जिलाधिकारी लोकपाल सिंह भी डीएम के साथ थे।

डीएम बिलौड़ पंचायत के मजरा जखेता में भी पहुंचे। डकैतों द्वारा मारे गये ग्रामीणों के चार अनाथ बच्चों की करुणा कहानी सुनकर वे विह्वल हो गये। उन्होंने अधिकारियों से संवेदनशीलता दिखाने की अपेक्षा की। दस्यु सरगना जगजीवन परिहार ने 6 वर्ष पहले जखेता में आतंक का कहर ढाते हुए ब्रह्मा सिंह की हत्या कर दी थी। बाद में उनकी पत्नी की भी मौत हो गयी। नतीजतन उनके चारे बेटे अजय (18 वर्ष), रजपाल (12 वर्ष), गुड्डन (8 वर्ष) व गबरू (6 वर्ष) अनाथ हालत में जिंदगी जी रहे हैं। न उनके पास खाने का साधन है न रहने का। यहां तक कि विद्यालय के अध्यापक ने भी बार-बार कहने के बावजूद उनका एडमीशन नहीं लिया जिससे कोई बच्चा अक्षर ज्ञान तक नहीं कर पाया। डीएम ने खंड शिक्षाधिकारी से कहा कि चारों के एडमीशन, ड्रेस व खाने की व्यवस्था की जाये। उन्होंने ग्रामीणों से पूछा कि किसी को 1090 के बारे में जानकारी है, जब सभी ने अनभिज्ञता प्रकट की तो उन्होंने थानाध्यक्ष ज्ञानेंद्र सिंह से जवाब देने के लिए कहा। थानाध्यक्ष ने बताया कि यह नंबर किसी लड़की या महिला के साथ छेडख़ानी की स्थिति में शिकायत करने के लिए है। इस पर काल करें, 20 मिनट में पुलिस पहुंच जायेगी। इसी तरह उन्होंने 108 नंबर के बारे में पूछा। ग्रामीणों को इस बारे में भी पता नहीं था। मुख्य चिकित्साधिकारी ने बताया कि मरीज की स्थिति खराब होने पर इस नंबर पर काल करने से तत्काल एंबुलेंस पहुंचाने की व्यवस्था है। डीएम ने कहा कि सरकारी योजनाओं का प्रचार प्रसार ढंग से किया जाना चाहिए।

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