फसल को विषाक्त किये बिना मित्र कीटों के उत्पादन से हानिकारक कीट नष्ट करने के कार्ड और तरल तैयार करने वाली पूरे बुंदेलखंड की एकीकृत नाशी कीट जीव प्रबंधन प्रयोगशाला यहां स्थापित है। पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से यह प्रयोगशाला बेहद महत्वपूर्ण है। इसके बावजूद इसको और विकसित किया जाना तो दूर उपेक्षा का शिकार बना दिया है। संसाधनों के अभाव में यह प्रयोगशाला विभिन्न कार्डों के उत्पादन का लक्ष्य पूरा नहीं कर पा रही और दम तोडऩे की कगार पर पहुंचती दिख रही है। दलहनी फसलों में लगने वाली इल्ली के सफाये में इस प्रयोगशाला के कार्ड बेहद कारगर हैं। यह कार्ड पौधों की पत्तियों में बांध दिये जाते हैं। प्रयोगशाला की एक अन्य पद्धति में मरने वाले शत्रु कीटों को पीसकर तरल दवा तैयार करायी जाती है जिसके छिड़काव से कई फसलों में हानिकारक कीड़े नष्ट हो जाते हैं। सब्जी फसलों में इस तरह की बेहद उपयोगिता किसान स्वीकार करते हैं। यह महत्वपूर्ण प्रयोगशाला इकलौते टेक्नीशियन के सहारे चल रही है जबकि अलग-अलग कार्ड बनाने के लिए अलग-अलग टेक्नीशियन होने चाहिए। मित्र कीट कार्ड तैयार करने की प्रक्रिया में तापमान को मैंटेन किया जाना बहुत जरूरी है लेकिन इसके लिए किया गया वातानुकूलन का प्रबंधन सही तरीके से काम नहीं कर रहा। मित्र कीट कार्ड पर दिया जाने वाला अनुदान भी 90 प्रतिशत से घटाकर 75 प्रतिशत कर दिया गया है। प्रयोगशाला के प्रभारी दिनेश नारायण मिश्रा ने बताया कि रासायनिक कीटों के इस्तेमाल से शरीर के लिए नुकसानदेह उपज खेतों में पैदा होती है। मित्र कीटों के कार्ड से उपज एकदम शुद्ध रहती है। उन्होंने स्वीकार किया कि स्टाफ की कमी से कार्ड और छिड़काव के लिए तरल तैयार करने की प्रक्रिया बाधित है। इस वर्ष अभी तक कार्ड तैयार नहीं हो पाये हैं। प्रयोगशाला में तैयार होने वाले मुख्य कार्ड व तरल दवा में ट्राइको कार्ड हरजीनियम, बिवेरिया बेसियाना, ट्राइकोकार्ड व एनपीबी शामिल है। सीडीमोनाज व मेराकंटेनियम बनाने का लक्ष्य भी दिया जाता है लेकिन इनका निर्माण नहीं हो पा रहा।
This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK
Read Comments