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कैसा जी यह लोकतंत्र है

बोल कि लब आजाद हैं...
बोल कि लब आजाद हैं...
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नेता-नूती कहते हैं सब
खूब अच्छा है, वोटतंत्र है
कांग्रेस का नोटतंत्र है
राजा का उद्योगतंत्र है
कलमाड़ी का खेलतंत्र है
नीराओं का मेलतंत्र है
धनकुबेर, अम्बानीयों का
पैसा पेलमपेलतंत्र है
मनमोहन का मोहतंत्र है
चैनल पर निर्मलवा बोला-
मेरा अपना खोजतंत्र है
रथ पर चढ़ अडवाणी बोले-
नहीं, नहीं यह रामतंत्र है
एनडी बाबू हंसकर बोले-
सत्तासुख औ कामतंत्र है
चिदंबरम मुस्काते गुज़रे
मेरे लाला, रक्ततंत्र है
राहुल भैया कांप रहे हैं-
क्यों कहते हो राजतन्त्र है
अम्मी दस जनपथ से बोलीं-
राहुल का कल्याण तंत्र है
दिग्गी कुटिल हंसी हंस बोले-
कांग्रेस का लालतंत्र है
हरिद्वार से बाबा बोले-
शैतानों का दुष्टतंत्र है
रालेगण से अन्ना बोले-
सब का सब यह भ्रष्टतंत्र है
चुनही मलते निरहू बोला-
मैकाले का षड्डयन्त्र है
मेरे खातिर सब कुतंत्र है.

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