Menu
blogid : 8844 postid : 52

इन रिश्तों को तपने दो

बोल कि लब आजाद हैं...
बोल कि लब आजाद हैं...
  • 19 Posts
  • 61 Comments

इन रिश्तों को तपने दो
खूब तपेंगे, कुंदन होंगे
इन्हें जिस्म पर घिसने दो
महकेंगे तो चन्दन होंगे
रोम रोम से बंध जाने दे
जकड़ गए, निर्बन्धन होंगे
छू-छू कर ये गुज़र गए तो
कण कण में स्पंदन होंगे
कभी सामने तुम आये तो
नेत्र बंद कर वंदन होंगे
तुम्हें बनाऊं अगर राधिका
तो हम जसुदानंदन होंगे

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply