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सरदार वल्लभ भाई पटेल, जिनकी स्मृति में भारत में प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है तथा लौह पुरूष के नाम से जाना जाता है। वल्लभ भाई पटेल एक ऐसा ज्वालामुखी व्यक्तित्व जो सदैव बाह्यरूप में शान्त दिखाई देते थे किन्तु उनके अन्दर जो वैचारिक अग्नि थी वह वास्तव में सराहनीय थी। किसी से न डरने वाले निडर, साहसी पटेल जी भारत की आजादी के बाद देश के प्रथम उप प्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री, सूचना, रियासत मंत्री बने और प्राप्त पद का भरपूर भौतिक उपयोग करते रहे जिससे भारत, जिसे अंग्रेज सरकार ने टुकड़ो में विभाजन करने का कार्य किया था, उसे विफल करते हुये सरदार पटेल ने मात्र तीन साल के कार्यकाल में टुकड़ों को एक कर दिखाया था। जिसका परिणाम यह हुआ कि देश में छोटी बड़ी जितनी रियासतें थी उनमें मात्र तीन रियासतों को छोड़कर शेष सभी रियासतों को भारत में मिलाने का श्रेय पटेल जी को ही जाता है जिसने एकता की मिसाल प्रस्तुत कर दी सम्पूर्ण भारत में।
रियासत का अर्थ छोटे बड़े कई गॉवो का एक अलग शासक होता था जिस पर वहॉ के शासक का शासन होता था और यह रियासत अपने अधिकारों का इस्तेमाल करने में पूर्ण स्वतंत्र थे। इनमें कई रियासते ऐसी थी जिनकी गॉवो की संख्या बहुत कम 20-30 से ज्यादा नही थी किन्तु वह रियासत के नाम पर देश से अलग थी। ऐसी छोटी बड़ी लगभग 562 रियासतों के स्वामी से पटेल जी द्वारा व्यक्तिगत सम्पर्क बनाते हुये सभी को देश में विलय होने के सम्बन्ध में समझाया और प्रभावकारी परिणाम सामने आया जब 562 रियासतों ने देश के साथ विलयीकरण कर लिया, पटेल जी का यह कार्य राष्ट्र को एकता के बन्धन में बॉधने में सफल हुआ। मात्र 03 रियासत जिसमें जूनागढ़, हैदराबाद और कश्मीर शामिल है को छोड़कर कोई ऐसी रियासत शेष नही बची थी जिसे भारत में विलय किया जाना शेष हो। जूनागढ़ के शासक द्वारा जब भारत में विलय होने से मना किया गया तब पटेल जी द्वारा केवल इस बात की निन्दा की गयी और सारा देश जूनागढ़ का विरोध करने लगा। यह विरोध इतना ज्यादा हुआ कि जूनागढ़ का शासक छिपकर पाकिस्तान भाग गया और देश का ध्वज जूनागढ़ की रियासत पर लहराने लगा। बात आयी हैदराबाद रियासत की जहॉ के शासक ने भी विलयीकरण का विरोध किया तब गृहमंत्री पद पर सुशोभित वल्लभ भाई पटेल ने सेना को आदेश दिया कि रियासत पर कब्जा कर लिया जाय। सेना हैदराबाद पहुंच गयी किन्तु बिना किसी गोली बारी, खून खराबा किये बगैर 04 दिनों की सेना अधिकारियों की वार्ता से शान्तिपूर्वक हैदराबाद रियासत का भी विलय देश में हो गया। कश्मीर रियासत का मामला नेहरू जी जो कि प्रधानमंत्री थे उन्होने अपने पास सुरक्षित रख लिया जो आज विवादों के भंवर में उलझा अपना भविष्य तलाश कर रहा है, अवसर मिला होता तो कश्मीर भी अन्य रियासतों की तरह भारत में विलय हो चुका होता किन्तु ऐसा नही हो सका।
पटेल जी किसानों की हितरक्षा सोचने वाले विभूति थे, किसानों के अधिकार के लिये कई बार पटेल जी ने आन्दोलन किये आवाज उठायी और किसानों का अधिकार दिलाया उनके ऐसे ही साहसिक कार्यो के लिये उन्हे सरदार की उपाधि दी गयी और यह सरदार वल्लभ भाई पटेल कहलाये। पटेल जी के द्वारा जो भी आंदोलन किये गए किसी में हिंसा नहीं हुई बल्कि मनोबल का प्रभाव अत्यधिक होने के कारण किया गया आंदोलन प्रभावकारी ही रहा है यह विशेषता पटेल जी को सामाजिक स्तर से बहुत ऊंचाई का है.
आज देश का वर्तमान पटेल समुदाय द्वारा किये जा रहे आरक्षण आन्दोलन का शिकार हो रहा है जिसमें लोगो की मृत्यु हुयी, सरकारी सम्पत्तियों का नुकसान हुआ और देश में अराजकता का संदेश पहुंचा लोगों तक। वर्तमान में आरक्षण की मॉग करने वाले आन्दोलनकारी 22 वर्षीय हार्दिक पटेल को पूरे गुजरात प्रदेश में पटेल जाति का समर्थन मिला किन्तु इसका अर्थ यह नही हो जाता कि आन्दोलन करते हुये देश की शान्ति एवं कानून व्यवस्था से खिलवाड़ किया जाय, यह आन्दोलन खूनी आन्दोलन हो गया जिसमें जो मृत्यु का ग्रास बन गये उनकी मृत्यु का जिम्मेदार कौन है ? विचारणीय है। देश को हुयी क्षति की पूर्ति कौन करेगा ? विचारणीय है। यह आन्दोलन निन्दनीय रहा क्यूं कि इसमें बेगुनाहों के रक्त का दाग लग चुका है यह केवल आरक्षण की आग का परिणाम नही है बल्कि कूटरचित तरीके से देश की एकता और शान्ति को दूषित किये जाने का षडयन्त्र है। किसी भी आंदोलन की सार्थकता आंदोलन के नेतृत्व पर निर्भर होता है कि किस प्रकार आंदोलन को सफल बनाया जाये किन्तु देश में जिस प्रकार आंदोलन का रूप रक्तरंजित होता जा रहा है यह विरोध कम विद्रोह ज्यादा प्रदर्शित कर रहा है, पटेल समुदाय को आंदोलन के नेतृत्व को ध्यान में रखना चाहिए था और पटेल समुदाय की प्रेरणा रहे वल्लभ भाई पटेल जी के आदर्शो को सीखना चाहिए था. एक पटेल यह है जो देश में अराजकता फैलाने में अग्रणी साबित हुये और एक पटेल वह भी थे जिन्होने देश को एकता सूत्र में लाकर खड़ा कर दिया था।
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